सरकार दशकों पुराने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के स्थान पर नया डिजिटल इंडिया बिल लाने की तैयारी में है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया एक्ट 2023 की औपचारिक रूपरेखा पेश कर दी है। वर्तमान सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की कई सीमाएं हैं। इसलिए, केंद्रीय आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने उसकी जगह पर DIA का मसौदा तैयार किया है। यह प्रस्तावित मसौदा है, जिस पर अभी काफी काम किया जाना बाकी है। केन्द्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर के अनुसार, केवल 5.5 मिलियन भारतीय लोग इंटरनेट पर थे और आज, 850 मिलियन नागरिक वेब से जुड़े हुए हैं। इस तरह हमारा देश डिजिटल रूप से सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गया है।
क्या है डिजिटल इंडिया एक्ट (DIA)?
इसका उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया लक्ष्य 2026 को पूरा करना और 2025-26 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाना है।
प्रस्तावित कानून जवाबदेह और उत्तरदायी डिजिटल ऑपरेटरों, अपडेटेड मध्यस्थ ढांचे, डिजिटल ऑपरेटरों के दायित्वों, एल्गोरिथम पारदर्शिता और डिजिटल संस्थाओं द्वारा जोखिम आकलन के लिए सहायक और अपीलीय तंत्र की पेशकश करेगा।
डीआईए के पास आईटी मंत्रालय में राज्य मंत्री (एमओएस) आईटी, अतिरिक्त सचिव, जीसी साइबर लॉ, एएसजी एक बाहरी कानूनी विशेषज्ञ और एक उद्योग विशेषज्ञ की एक कोर टीम होगी।
डिजिटल बिल के मसौदे के लिए अन्य देशों में इंटरनेट और प्रौद्योगिकी से संबंधित सभी प्रासंगिक वैश्विक कानूनों का तुलनात्मक अध्ययन होगा। मंत्री के अनुसार, डीआईए के लिए विशेषज्ञों, आम जनता, उद्योग, मीडिया, शिक्षा जगत, छात्र समुदाय, इंटरनेट प्रशासन मंचों और उपभोक्ता मंचों के साथ परामर्श होगा।
डीआईए के तहत की जाने वाली पहलों में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, राष्ट्रीय डेटा शासन नीति, साइबर अपराधों से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन और डीआईए नियम शामिल हैं।
क्यों जरुरी है ये एक्ट?
केन्द्रीय मंत्री ने प्रेजेन्टेशन के दौरान कहा कि साल 2000 में एक प्रकार के इंटरनेट मध्यस्थ से लेकर आज कई प्रकार के मध्यस्थ (ई-कॉमर्स, डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया, एआई, ओटीटी, गेमिंग आदि) हो गये हैं। हम कैटफिशिंग, डॉक्सिंग, साइबर स्टाकिंग, साइबर ट्रोलिंग, गैसलाइटिंग और फिशिंग आदि के नए जटिल रूपों का सामना कर रहे हैं। साथ ही अभद्र भाषा, दुष्प्रचार और फर्जी समाचारों का प्रसार अन्य गंभीर चिंताएं हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के अनुसार, देश को 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक उत्प्रेरक और संबल के रूप में कार्य करने के लिए वैश्विक मानक साइबर कानूनों की आवश्यकता है। प्रस्तावित डिजिटल इंडिया एक्ट (डीआईए) बिग टेक को कंट्रोल करने और लाखों नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए भारत में वर्तमान नियामक परिदृश्य पर जोर देगा।
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कब पेश होगा बिल?
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, डिजिटल इंडिया बिल का ड्राफ्ट अगले दौर की बातचीतों के बाद और सख्त किया जाएगा। यह ड्राफ्ट बिल अप्रैल में जारी किए जाने की संभावना है और फिर 45-60 दिन तक सार्वजनिक चर्चा के दौर होंगे, और उसके बाद इसे अंतिम मंज़ूरी के लिए संसद में प्रस्तुत किया जाएगा। माना जा रहा है कि ड्राफ्ट बिल को जुलाई में संसद में पेश कर दिया जाएगा।