निरालानगर स्थित माधव सभागार में मानसरोवर परिवार द्वारा आयोजित चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिन की शुरुआत दिन की शुरुआत हनुमान चालीसा के पाठ उपरांत व्यास पीठ पर विजमान जगतगुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज जी आरती मुख्य यजमान महेश गुप्ता, लक्ष्मी गुप्ता की। श्रीमद् भागवत में जगतगुरु श्री राघवाचार्य महाराज ने गजेंद्र मोक्ष समुद्र मंथन रामावतार एवं श्री कृष्ण जन्म उत्सव कथा वर्णन किया। कथा का सुमिरन तथा महाराज जी का आशीर्वाद लखनऊ महापौर संयुक्ता भाटिया, उपाध्यक्ष धनश्याम अग्रवाल, उमेश पाण्डेय, सचिन गुप्ता, राजेश गुप्ता, पवन पांडेय, संजय तिवारी, राघवेंद्र मिश्र, बृजेश सिंह, आलोक दीक्षित पहुंचे।

स्वामी राघवाचार्य जी महाराज बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा का संगीतमयी वर्णन सुन श्रद्धालुगण झूमने लगे।
कथा के दौरान जैसे भगवान का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान लोग झूमने-नाचने लगे। भगवान श्रीकृष्ण की वेश में नन्हें बालक के दर्शन करने के लिए लोग लालायित नजर आ रहे थे। भगवान के जन्म की खुशी पर महिलाओं द्वारा अपने घरों से लगाए गए गुड़ के लड्डूओं से भगवान को भोग लगाया गया।
उन्होंने बताया कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने आमोद प्रमोद के साथ कई राक्षसों का संहार किया और लोगों का कल्याण। भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल से मथुरा गमन और फिर द्वारका पहुंचने तक की सम्पूर्ण कथा सुनाकर भक्तों का मन मोह लिया उन्होंने भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए कृष्ण का मथुरा गमन करने एवं कंस वध आदि कथा का वर्णन किया।
आस्था भजन चैनल पर लाइव प्रसारण
प्रवक्ता अनुराग साहू ने बताया कि देश विदेश में बैठे भक्तों एवं जो किसी कारणवश कथा स्थल पर नहीं पहुंच पा रहे हैं उनके लिए श्रीमद् भागवत कथा जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज जी की कथा का लाइव प्रसारण आस्था भजन चैनल पर अपराहन 3:00 बजे से साईं 7:00 बजे तक प्रसारित किया जा रहा है।
पंचम दिन श्री कृष्ण बाल लीला माखन चोरी गोवर्धन पूजा एवं छप्पन भोग लीला का वर्णन अपराहन 3बजे से साय 7तक करेगे ।
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