दिल्ली हाईकोर्ट ने आज प्रतिस्पर्द्धा आयोग के जांच के आदेश के खिलाफ फेसबुक और व्हाट्स ऐप की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है। अब व्हाट्स ऐप और फेसबुक के खिलाफ प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच जारी रहेगी। जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने पिछले 13 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान व्हाट्स ऐप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि व्हाट्स ऐप की प्राईवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है। उन्होंने कहा था कि व्हाट्स ऐप की नई प्राईवेसी पॉलिसी यूजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है। इस पॉलिसी से व्यावसायिक सेवाओं का बेहतर उपयोग करने की सुविधा है। व्हाट्स ऐप की व्यावसायिक सेवा अलग है जो फेसबुक से लिंक की गई है। उन्होंने कहा था कि व्हाट्स ऐप किसी यूजर की निजी बातचीत को नहीं देखता है। नई प्राईवेसी पॉलिसी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
फेसबुक की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि यह फेसबुक और व्हाट्स ऐप की संयुक्त नीति नहीं है। ऐसे में प्रतिस्पर्द्धा आयोग का फेसबुक के खिलाफ फैसला देना बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा था कि ये मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है। उन्होंने प्रतिस्पर्द्धा आयोग के आदेश पर रोक लगाने की मांग की।
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प्रतिस्पर्द्धा आयोग की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा था कि ये मामला केवल प्राईवेसी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है। उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है। उन्होंने कहा था कि भले ही व्हाट्स ऐप की इस नीति को प्राईवेसी पॉलिसी कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है।