दिल्ली हाई कोर्ट ने टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया(टीटीएफआई) को इस बात के लिए फटकार लगाई है कि वो टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा को टारगेट कर रही है। जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि खिलाड़ियों को टारगेट नहीं किया जाना चाहिए और ऐसा करना गंभीर समस्या है।
कोर्ट ने टेबल टेनिस फेडरेशन को निर्देश दिया कि वो इंटरनेशनल टेबल टेनिस फेडरेशन और उसके बीच हुए संवादों की रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करे। सुनवाई के दौरान बत्रा ने कहा कि टेबल टेनिस फेडरेशन उसे टारगेट कर रही है और उसके साथ एक आरोपी की तरह का बर्ताव किया जाता है। बत्रा की इस दलील का टेबल टेनिस फेडरेशन ने विरोध किया।
बतादें कि 23 सितंबर को कोर्ट ने टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया के उस प्रावधान पर रोक लगा दिया था जिसमें कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में चयन के लिए नेशनल कैंप में शामिल होना अनिवार्य है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा था कि चयन का एकमात्र आधार मेरिट होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इस मामले में स्वतंत्र जांच करायी जाएगी। शर्मा ने कहा था कि स्पोर्ट्स कोड में ऐसा कुछ नहीं है जो किसी खिलाड़ी को इस आधार पर रोक लगाए कि उसने कैंप में हिस्सा नहीं लिया है। ऐसा होने से देश एक प्रतिभा से वंचित रह जाएगा।
20 सितंबर को कोर्ट ने केंद्र सरकार और टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था। टेबल टेनिस फेडरेशन ने एशियन चैंपियनशिप के लिए जिस टीम का ऐलान किया था उस टीम में मनिका बत्रा का नाम शामिल नहीं था। मनिका बत्रा ने इस फैसले के खिलाफ यचिका दायर किया है। बत्रा की वर्ल्ड रैंकिंग 56वीं है जबकि उसकी जगह 97वीं वर्ल्ड रैंकिंग की सुतीर्थ मुखर्जी को भेजा जा रहा है। फेडरेशन के मुताबिक मनिका ने सोनीपत में हुए नेशनल कैंप में हिस्सा नहीं लिया था जिसकी वजह से उन्हें टीम में शामिल नही किया गया।
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टोक्यो ओलंपिक के बाद से मनिका बत्रा और फेडरेशन के बीच संबंध खराब हैं। टोक्यो ओलंपिक में मनिका नेशनल कोच के बिना ही खेलने उतरी थी जिसकी वजह से फेडरेशन ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। मनिका ओलंपिक के सिंगल्स में तीसरे राउंड में पहुंची थी। ऐसा करनेवाली वह पहली भारतीय महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी थी।