यूपी में मंदिर-मस्जिद के लाउडस्पीकर नियंत्रित कर सीएम योगी आदित्यनाथ ने इतिहास रच दिया!

एक ऐसे समय में जब हिंदू मुस्लिम की डिबेट सातवें आसमान पर और देश के हर दूसरे नागरिक पर नफरत हावी हो. सवाल पूछा जाए कि धार्मिक दृष्टि से वो कौन सा राज्य है जो बारूद के ढेर पर बैठा है? 2017 के पहले का समय होता, तो आदमी एक झटके में उत्तर प्रदेश का नाम लेकर अपना पल्ला झाड़ लेता. लेकिन जो अभी के हाल हैं लॉ एंड आर्डर के लिहाज से उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है. उत्तर प्रदेश में जो इबारत सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ लिख रहे हैं. उसे लेकर यूं तो एक हजार बातें हो सकती हैं. लेकिन उनका सार यही है कि ‘कायदे से रहोगे तो फायदे में रहोगे.’ दिलचस्प ये कि ये बात किसी एक समुदाय के लिए नहीं है, यानी ये चीज जितनी किसी हिंदू और मुसलमान पर लागू होती है. उतनी ही किसी सिख और ईसाई पर भी. नियम कानूनों के मद्देनजर जैसे योगी आदित्यनाथ ने यूपी को राइट टाइम किया है वो आसान बिल्कुल नहीं है और इसके लिए बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ होनी ही चाहिए.

सवाल होगा कैसे? जवाब के लिए हम देश में चल रहे लाउड स्पीकर विवाद का रुख कर सकते हैं. खबर है कि लाउड स्पीकर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रुख के बाद यूपी के अलग अलग धार्मिक स्थलों से या तो लाउडस्पीकर उतार लिए गए हैं या फिर उनकी आवाज को धीमा कर दिया गया है. ध्यान रहे अभी बीते दिनों ही यूपी के मुखिया का वो बयान सुर्ख़ियों में थे जिसमें उन्होंने इस बात पर बल दिया था कि धार्मिक स्थलों में बताए गए मानकों के अनुरूप ही लाउडस्पीकर बजें और उनकी आवाज सिर्फ धार्मिक परिसर के अंदर तक ही रहे.

ध्यान रहे लाउड स्पीकर विवाद के मद्देनजर उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने तमाम तरह की बातें की हैं और बताया है कि अब तक UP में 125 धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटवाए गए हैं. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि सूबे में तकरीबन 17 हजार धार्मिक स्थल ऐसे हैं जहां स्पीकर की आवाज कम की गई है.

यूपी में संस्था कोई हो तेज आवाज में लाउड स्पीकर बजाने वालों की खैर नहीं है. एडीजी के अनुसार  शासन ने तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाने वालों की रिपोर्ट तलब की है. ADG लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि अलविदा की नमाज और इसके पहले जो अन्य धर्मों के भी त्योहार हुए हैं, उनमें लाउडस्पीकर की आवाज कम करने के लिए लगभग 37,344 धर्मगुरुओं से बात की गई है.

गौरतलब है प्रदेश की शांति व्यवस्था प्रभावित न हो इसलिए यूपी सरकार ने नए आयोजनों और नए धार्मिक स्थलों पर माइक लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. वहीं मुख्यमंत्री ने ये भी कहा था अगर प्रदेश में किसी को कोई शोभायात्रा निकालनी हो या फिर जुलूस उसके लिए पहले से अनुमति लेनी होगी साथ ही आयोजकों को शांति-सौहार्द बनाए रखने के संबंध में शपथ पत्र देना होगा. अनुमति केवल उन्हीं धार्मिक जुलूसों को दी जाएगी, जो पारंपरिक होंगे.

सोचने वाली बात ये है कि ये सब उस उत्तर प्रदेश में हो रहा है जहां कब दंगा हो जाए, कब स्थिति बिगड़ जाए कोई नहीं जानता था लेकिन जिस तरह यूपी में योगी के आने के बाद स्थिति संभली है कोई बड़ी बात नहीं कि कल की तारिख में ये चीज एक मॉडल के रूप में स्थापित हो जाए और देश के अलग अलग सूबे इनका अनुसरण करें.

चाहे वो पंडित और पुजारी हों. या फिर मौलवी मौलाना जिस तरह सबको एक मंच पर बैठाकर शांति बनाए रखने की अपील न केवल की गयी. बल्कि जिस तरह लोगों न इसका अमल किया इस बात की तस्दीख खुद हो जाती है कि यूपी में योगी के आने के बाद बड़ा सुधार हुआ है और जैसा लोगों का स्वाभाव है ये कोई आसान पहल नहीं है.

धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर को हटाने में कम दिख रहा रुझान

बात बहुत सीधी और एकदम साफ़ है यूपी में योगी इतिहास रच रहे हैं. जैसा उनका अंदाज है अगर देश का हर सूबा इससे प्रेरणा ले तो जो भारत बनेगा वो कई मायनों में सुन्दर होगा. बहरहाल जो यूपी में योगी ने किया है कामना यही है कि वो कायम रहे क्योंकि इसी तरह यूपी जैसे विशाल सूबे की शांति बनी रहेगी.