भारतीय संस्कृति वैज्ञानिक संस्कृति है। इसके पुनरोद्वार का समय आ गया है। सभी अपनी भूमिका का निर्वहन करें। समाज के सभी लोग समर्पित और सशय होंगे तभी समाज का विकास होगा और वह मजबूत होगा। हम सभी में सीखने की प्रवृत्ति होनी चाहिए, यदि सीखने की कला नहीं है तो हम समाज का उद्वार नहीं कर सकेंगे। ज्ञान ही हमें शान्ति, आनंद और सुख देता है इसलिये मात्र ज्ञान अर्जन हो। यह बातें उद्गार महानिदेशक, उप्र प्रशासन एवं प्रबन्धन अकादमी, लखनऊ एल.वेक्टेश्वर लू ने राजकीय इण्टर कालेज सभागार में मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के अन्तर्गत सभी वर्गों के प्रतिभावान व मेधावी छात्र-छात्राओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निशुल्क प्रशिक्षण आनलाइन व क्लासरुम प्रशिक्षण की सुविधान्तर्गत आयोजित कार्यशाला में अपना अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए व्यक्त किये।
उन्होने कहा कि भारत विश्व गुरु था, हैं और रहेगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को व समाज को सशक्त करने के लिये सभी को समर्पित भाव और दृढ़ता से समाजहित में कार्य करना होगा तभी समाज विकसित होगा। जीवन को सार्थक करने के लिये कर्म को कर्मयोग बनाना होगा साथ ही सात्विक प्रवृत्ति को भी बढ़ाना होगा, तभी ज्ञान बढ़ेगा। अपने उद्बोधन में उन्होंने उपस्थित छात्र-छात्राओं से कहा कि लक्ष्य निर्धारित करते हुये कार्य करें ताकि लक्ष्य की पूर्ति हो सके। उन्होंने बताया कि अभ्युदय का आकार समग्र विकास सबसे योग्य लोग आगे आये।
महानिदेशक, उप्र प्रशासन एवं प्रबन्धन अकादमी ने कहा कि मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना में निशुल्क व्यवस्था होते हुये इतने कम छात्र-छात्राओं का पंजीकरण है, इसे बढ़ाये जाने को लोगों को मोटीवेट करें। प्रशिक्षण में प्रशिक्षित अध्यापक है, साथ ही आईएएस तथा पीसीएस अधिकारी भी क्लास में प्रशिक्षण देते है, उनका सभी लाभ उठायें। उन्होंने कहा कि जिसने हाल में ही पीसीएस परीक्षा पास किया उसको भी क्लास में बुलाया जाये। प्रदेश में 18 मण्डलों में अभ्युदय योजना संचालित है और जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है उसे यू-टयूब पर अपलोड किया गया है उसे सभी इण्टर कालेजों में उपलब्ध कराये ताकि शुरु से ही बच्चों में आईएएस व आईपीएस बनने की इच्छा हो।
एक दिवसीय कार्यशाला में मण्डलायुक्त डॉ अजय शंकर पाण्डेय ने छात्र-छात्राओं के लिये आईएएस व आईपीएस से सम्बन्धित पुस्तकों व पठन पाठन की आवश्कताओं की पूर्ति हेतु अटल एकता पार्क में नवनिर्मित पुस्तकालय में पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराये जाने तथा पुस्तकों को आनलाइन अध्ययन की भी व्यवस्था करने पर सहमति दी। उन्होंने कहा कि अन्य जरुरी पुस्तकों की सूची उपलब्ध कराये उन्हें भी पुस्तकालय में रखा जायेगा।
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उन्होंने कहा कि आईएएस, आईपीएस व पीसीएस बनने के लिये प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता का मूलमंत्र सटीक तैयारी व मार्गदर्शन जरुरी है। उन्होंने बच्चों को शिक्षा व उक्त पदों के लिये प्रतियोगी परीक्षा में सुधार लाये जाने के लिये अभिभावकों से भी संवाद स्थापित करने का सुझाव दिया।