केंद्र सरकार ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) पर लगा प्रतिबंध हटाने की याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में बुधवार को सुनवाई हुई, जिसमें केंद्र की ओर से जारी हलफनामे में कहा गया कि सिमी आतंकी संगठन है।
बता दें, केंद्र सरकार ने 2019 में पांच साल के लिए सिमी पर बैन लगाया था। इसके खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने याचिका को निराधार बताते हुए हलफनामा दायर किया।
सिमी पर प्रतिबंध जरूरी, केंद्र ने दी ये दलीलें
हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा, सिमी आतंकी संगठन है और बैन के बावजूद इसके लोग सक्रिय हैं। गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं। ये नेता लगातार मिल रहे हैं और बैठकें कर रहे हैं। ऐसे में प्रतिबंध हटाना गलत होगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दायल हलफनामे में यह भी कहा गया है कि सिमी का लक्ष्य इस्लाम के प्रचार-प्रसार में युवाओं को जुटाना और जेहाद के लिए उकसाना है।
सिमी इस्लामी इंकलाब का नारा देते हुए शरीयत आधारित इस्लामी शासन का गठन करने की दिशा में काम कर रहा है। सिमी के लोग भारतीय संविधान पर विश्वास नहीं करते हैं।
ये लोग मूर्ति पूजा को पाप मानते हैं और ऐसी प्रथाओं को समाप्त करने का प्रचार करते हैं। सिमी की वित्तीय स्थिति अच्छी है और इस संगठन को आर्थिक मदद मिल रही है।
बता दें, सिमी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में सक्रिय था। आतंकी गतिविधियों में इसके लोगों के लिप्त होने के बाद केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद भी सिमी से जुड़े लोग शांत नहीं बैठे हैं। नया संगठन बनाए जाने की कोशिश की।
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हाल ही में मध्य प्रदेश के खंडवा से रकीब को गिरफ्तार किया गया। पता चला है कि यह शख्स पहले भी आतंकी गतिविधियों में लिप्त था और अभी आईएसआईएस के सम्पर्क में था।