भाजपा ने अपने प्रदेश में मौजूदा सांसदों की जनता के समर्थन और क्षेत्रीय गतिविधियों के मूल्यांकन के आधार पर लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 20% से 30% तक सांसदों के प्रत्याशियों को बदलने का निर्णय लिया है। साल 2019 में भाजपा ने पूरे प्रदेश में 80 सीटों पर चुनाव लड़े थे और 78 सीटों पर जीत हासिल की थी। यह महाजनसंपर्क अभियान और आम जनता के मताधिकार के आधार पर किये जा रहे सर्वेक्षण के परिणाम हैं।
सभी 80 सीटों पर करेंगे विजय हासिल
भाजपा का लक्ष्य है कि वे लोकसभा चुनाव 2024 में प्रदेश के सभी 80 सीटों पर विजय हासिल करें। मैनपुरी और रायबरेली सीटों पर भाजपा ने कभी भी चुनाव नहीं जीता है, लेकिन उन्होंने इन सीटों पर भी जीत का लक्ष्य रखा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यूपी में साल 2019 से अधिक जीत प्राप्त करने के लिए भाजपा के लिए यह तीसरी बार एक बड़ी जीत होना आवश्यक है। इसलिए पार्टी के लिए प्रत्येक सीट महत्वपूर्ण है और प्रत्याशियों को सोच-समझकर उतारा जाएगा। चुनाव सर्वेक्षण के तहत, मौजूदा सांसदों की जनता के मताधिकार को महत्व दिया जा रहा है और नए प्रत्याशियों की रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है।
क्षेत्र में सक्रियता को दिया जा रहा बढ़ावा
महाजनसंपर्क अभियान के अंतर्गत, पार्टी के सांसदों की जनता के साथ संपर्क और क्षेत्र में सक्रियता को बढ़ावा दिया जा रहा है। अभियान के तहत हुई रैलियों में अधिकांश लोगों की भागीदारी देखी गई है। अभियान के तहत करीब एक दर्जन लोकसभा क्षेत्रों में रैलियां आयोजित की गईं, जिनमें दो से पांच हजार लोगों की भागीदारी हुई है।
प्रदेश में लगभग 30% तक प्रत्याशियों को बदला जाएगा
जानकारी के मुताबिक, भाजपा के पदाधिकारी ने बताया कि प्रदेश में लगभग 30% तक प्रत्याशियों को बदला जाएगा। इसमें मौजूदा सांसदों समेत हारे हुए सीटों के प्रत्याशियों को शामिल किया जाएगा। यदि भाजपा और सपा के बीच संभावित गठबंधन होता है, तो उन्हें एक-दो सीटों पर प्रत्याशियों को बदलना होगा। इसके अलावा, अपना दल और निषाद पार्टी को अधिक सीटों की जरूरत होने पर भी उनके प्रत्याशियों को बदला जाएगा। इसके अलावा, कुछ सांसदों के टिकट कट सकते हैं क्योंकि वे 75 वर्ष से अधिक आयु होने वाले हैं। साथ ही, योगी सरकार के कुछ मंत्रियों और पार्टी के विधायकों को भी चुनाव में लड़ाया जा सकता है।
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