- बीसी सखी के रूप में काम कर स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बन रही है, ग्रामीण महिलाएं
लखनऊ। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किये बिना किसी भी देश, प्रदेश का समग्र विकास सम्भव नहीं है और असली भारत तो गांवों में बसता है इसलिए ग्रामीण जन जीवन की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना बहुत जरूरी होता है। इस दिशा में उतर प्रदेश पूरी तरह गतिमान है और ग्राम्य विकास की अनेकानेक योजनाओं के माध्यम से गांवों के चहुंमुखी और बहुमुखी विकास के प्रभावी कदम उठाए गए हैं, जिसमें महिलाओं के स्वावलंबन और महिला सशक्तीकरण पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
बीसी सखी से प्रदेश की महिलायें आत्मनिर्भर हो रही हैं। बी सी सखी कार्यक्रम,देश में पहली बार बैंकों के अलावा किसी सरकारी विभाग (ग्राम्य विकास विभाग) द्वारा ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत चलाया जा रहा है। ग्रामीण परिदृश्य में वित्तीय समावेशन, गरीबों, कमजोर व बुजुर्गों-समाज के अन्तिम व्यक्ति तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बढ़ाई गयी है।ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को घर घर पहुंचाने के लिए बीसी सखी बनाई गई। बी सी सखी के माध्यम से सब्सिडी, पेंशन, मजदूरी का भुगतान, बैंक खातों में जमा, निकासी, नए खाता खोलने आदि जैसी सुविधाएं गांवो तक पहुंचाई जा रही है।
बी सी सखी द्वारा जन-धन सेवाएं, देने के साथ साथ बैंक खाते से घर-घर जाकर जमा व निकासी करवाना व स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों की सेवाएं प्रदान करना है। महिलाओं को आत्मनिर्भर व स्वावलम्बी बनाने तथा महिलाओं को रोजगार देने के लिए देश व प्रदेश में अनेकानेक महत्वाकांक्षी योजनाओंका संचालन किया जा रहा है। इसी कड़ी में महिला सशक्तीकरण हेतु गांव-गांव तक बैकिंग सेवाओं को पहुंचाने के लिये बी सी सखी (बैकिंग कॉरेस्पोंडेंट) बनाने का काम किया गया है, जिसके बहुत ही सार्थक, सकारात्मक, उत्कृष्ट व उल्लेखनीय परिणाम निखर कर आ रहे हैं। समूहों की महिलाओं के विशेष रुचि से इस योजना को नये पंख लगे।
योजना अपने उद्देश्यों की पूर्ति में उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। सरकार की इस नीति से बैंकिंग सेवाएं लोगों के घरों तक पहुंच रही है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने बैंक खातों से धनराशि निकालने और उसमें पैसा जमा करने में बड़ी आसानी हुई हैं। उनका बैंक शाखाओं तक जाने का समय व खर्चा बच रहा है और घर के करीब ही बैंक के रूप में बीसी सखी मिल जा रही है। बी सी सखी से ग्रामीणों को उनके घरों पर ही बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने का विकल्प मिला है। इस योजना से ग्राम पंचायतों में महिलाओं को रोजगार मिला है।
बीसी सखी बनाने के लिए पूर्व सैनिकों, पूर्व शिक्षकों, पूर्व बैंक कर्मियों और महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है। अभ्यर्थी को कम्प्यूटर चलाना भी आना चाहिए, उस पर कोई वाद या पुलिस केस नहीं होना चाहिए। ऐसे अभ्यर्थी के चयन से पहले एक छोटी सी परीक्षा भी ली जाती है। इसमें उत्तीर्ण होेने वाली अभ्यर्थी बीसी सखी बन सकती है।बीसी सखी योजना से जुड़ने वाली महिलाओं को सम्मानजनक काम मिलने के साथ लोगों की सेवा करने का भी बड़ा अवसर मिल रहा है। लोगों को तत्काल बैंकिंग सेवा मिलने से उन्हें खुद को भी खुशी होती है।
बीसी सखी बनने के बाद ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के भविष्य सुरक्षित करने के लिए प्रत्येक माह एक निश्चित आमदनी का माध्यम बना है। बीसी सखी योजना के तहत बैंकिंग सेवाओं को घर-घर देना, रोजी-रोटी का एक बेहतर साधन बना है। इससे सबसे अधिक फायदा बैंक के ग्राहकों को हुआ है। उनको बैंक में लाइन लगाने और समय की बचत हो रही है और बैंक तक जाने का समय व किराया आदि भी उनका बचा है।
छोटे स्तर पर बैंकिंग सेवाएं लोग बी सी सखी से ले रहे हैं। प्रदेश सरकार की इस योजना का लाभ सबसे अधिक बैंक ग्राहकों को मिल रहा है। सरकार की ओर से बैंकिंग सेवाओं को बड़ी सौगात खासकर गांव के लोगों को दी जा रही है। ग्रामीण पहले बैंक से पैसा निकालने और जमा करने में आने-जाने में जो खर्चा करते थे ,उसकी भी बचत हो रही है।
ग्राम्य विकास आयुक्त जी एस प्रियदर्शी ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा महिला सशक्तिकरण हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने एवं द्वार पर बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से “वन जी पी – वन बी सी” के लक्ष्य के अनुसार 06 पार्टनर बैंकों यथा बैंक ऑफ़ बड़ौदा, भारतीय स्टेट बैंक, एयरटेल पेमेंट बैंक, नियरबाय टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, फिनो पेमेंट बैंक एवं मनिपाल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के सहयोग से बिज़नस करेस्पोंडेंट (बी सी सखी) कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक दीपा रंजन ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत अद्यतन 50,192 प्रशिक्षित बीसी सखी में से 39,029 क्रियाशील हो चुकी है, जिनके द्वारा रू0 26,943 करोड़ की धनराशि का लेन-देन किया गया, जिससे बी0 सी0 सखियों द्वारा कुल कमीशन रू0 72.56 करोड़ अर्जित किया गया है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। बी0 सी0 सखी कार्यक्रम वृद्ध जनो, दिव्यांग जनो, एवं ऐसे व्यक्ति जो रुपयों के लेन-देन हेतु बैंक जाने में असमर्थ हैं, उनके लिए वरदान साबित हुआ है। कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा भी इस कार्यक्रम से जुड़ने में रूचि प्रदर्शित की है।