‘सारी उम्मीदें टूट गईं, पीने के लिए मूत्र तक बोतल भर लिया’, देवघर रेस्क्यू ऑपरेशन में बचे लोगों की आपबीती

झारखंड के देवघर में रोपवे हादसे का रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो चुका है. तीन दिनों तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 46 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया जबकि तीन लोगों की मौत हो गई. ऑपरेशन इतना मुश्किल था कि सेना को इसमें लगाना पड़ा. वहीं हादसे से जिंदा बचे लोग इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे. इसी बीच तीन दिनों तक जिंदगी की जंग लड़ने वाले नमन नीरज ने अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया, ‘मैं बचने की उम्मीद खो चुका था. हमें कुछ पता ही नहीं चल पाया कि आखिर हुआ क्या था.’

उन्होंने एएनआई को बताया कि मैं सारी उम्मीदें खो चुका था. कोई जानकारी नहीं थी कि आखिर हुआ क्या था. मां ने फोन कर बताया कि रोपवे पर कोई दुर्घटना हुई है. हम लगातार फोन के जरिए सपंर्क में थे. मगर वहां नेटवर्क की भी समस्या थी. हमें सुरक्षित बचाने के लिए इंडियन एयर फोर्स और दूसरी रेस्क्यू टीम ने तीन बार कोशिश की. नीरज ने आगे कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मेरा पूरा परिवार चिंतित था. वो दुर्घटना स्थल पर पहुंचे, जहां हम एक-दूसरे को चिंता ना करने और रेस्क्यू टीम का इंतजार करने के लिए कहते रहे.

रेस्क्यू ऑपरेशन में सुरक्षित बचाए गए एक अन्य शख्स विनय कुमार दास ने इतने घंटे तक हवा में लटके रहने के अपने अनुभव को साझा किया. उन्होंने बताया कि पानी की कमी से बचने के लिए हमने बोतल में मूत्र इकट्ठा किया. बकौल विनय कुमार हम फंसे थे. हमने पीने के लिए बोतल में पेशाब किया ताकि अधिक समय तक अगर पानी ना मिले तो इसका इस्तेमाल किया जा सके. मालूम हो कि दास परिवार के छह सदस्यों के साथ ट्राली में फंसे थे.

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इसी तरह एक अन्य सर्वाइवर अनिता दासी इतने घंटों तक जिंदगी से जंग लड़ने के अपने अनुभव को साझा किया है. उन्होंने कहा कि मैं तीन और लोगों के साथ फंसी थी. हम पूरी तरह डिहाइड्रेटेड थे. ऐसा लगा कि बचने से पहले ही हम मर जाएंगे. मगर रेस्क्यू टीम ने हमें पानी की बोतलें दीं और बचा लिया. हमें पता चला कि मेरे परिचित एक साथी यात्री को बचाया नहीं जा सका.