नई दिल्ली: शंघाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक भारतीय नागरिक प्रेमा वांगजोम थोंगडोक को कथित तौर पर बिना किसी स्पष्ट कारण के लगभग 18 घंटे तक रोके जाने की घटना ने भारत-चीन संबंधों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक विशेषज्ञों और विदेश मामलों के विश्लेषकों ने इस कार्रवाई को “असामान्य, संवेदनहीन और दुर्भाग्यपूर्ण” बताया है, खासकर ऐसे समय में जब दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिशें चल रही हैं। विदेश मामलों के विशेषज्ञ महेश सचदेव ने इस घटना को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि यह ट्रांज़िट यात्री की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक अनुचित उल्लंघन है,
जो अंतरराष्ट्रीय विमानन और मानवाधिकार मानकों के खिलाफ जाता है। विदेश नीति जानकार वायल अव्वाद ने इसे “भारत-चीन संबंधों में अनावश्यक तनाव पैदा करने वाली एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना” बताया और कहा कि बीजिंग को डैमेज कंट्रोल के कदम तुरंत उठाने चाहिए ताकि दोनों देशों के बीच विश्वास की प्रक्रिया पटरी से न उतरे। उन्होंने कहा कि भारत और चीन एशिया के दो बड़े देश हैं और “एशियाई सदी” का सपना तभी पूरा हो सकता है जब दोनों देश साथ चलें, इसलिए इस तरह की घटनाओं से बचने की ज़रूरत है। इस मामले में भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसे तुरंत उच्च स्तर पर चीनी अधिकारियों के सामने उठाया।
विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया को बताया कि भारत ने शंघाई एयरपोर्ट पर एक भारतीय पासपोर्ट धारक यात्री को रोकने की घटना पर गंभीर चिंता जताई है और साफ कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का “अभिन्न और अटूट” हिस्सा है, जिसे लेकर चीन की ओर से की गई बयानबाज़ी किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। भारतीय नागरिक प्रेमा वांगजोम थोंगडोक, जो जापान की ओर ट्रांज़िट यात्रा पर थीं, को वीज़ा-फ्री 24 घंटे की अंतरराष्ट्रीय ट्रांज़िट सुविधा के बावजूद रोका गया, और उनके अनुसार चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनकी भारतीय नागरिकता पर सवाल उठाए और कथित रूप से अपमानजनक व्यवहार किया।
थोंगडोक ने अपनी परेशानी के बारे में बताया कि यह ordeal शंघाई और बीजिंग में भारतीय दूतावास के अधिकारी सक्रिय हुए बिना खत्म नहीं हो सकती थी। हालांकि, चीन ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि यात्री के कानूनी अधिकारों का पूरा सम्मान किया गया और किसी प्रकार की ज़बरदस्ती या अवैध हिरासत नहीं हुई। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि संबंधित व्यक्ति के साथ प्रक्रिया के अनुसार व्यवहार किया गया और चीन भारत के साथ स्थिर व रचनात्मक संबंध चाहता है। चीन के बयान के बावजूद भारत ने नई दिल्ली और बीजिंग दोनों स्थानों पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है और स्पष्ट किया है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा और गरिमा के मामले में ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाएगा।
कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब दोनों देश सीमा तनाव के बाद रिश्तों के सामान्यीकरण की कोशिश कर रहे हैं, लिहाज़ा यह घटना संवाद के माहौल को नुकसान पहुंचा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, जैसे-जैसे वैश्विक भू-राजनीति में भारत और चीन की भूमिका बढ़ रही है, छोटे-छोटे तनावों को तुरंत और पारदर्शिता से निपटाना बेहद महत्वपूर्ण है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर मजबूत प्रतिक्रिया देखने को मिली, जहां कई लोगों ने भारतीय नागरिक की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए सरकार के कड़े रुख की सराहना की और चीन से जवाबदेही की मांग की। अब देखना यह होगा कि बीजिंग इस घटना को लेकर क्या कदम उठाता है और क्या यह मसला भविष्य में भारत-चीन संबंधों पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव डालता है या नहीं।
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