नई दिल्ली: संविधान दिवस के अवसर पर बुधवार को कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत का संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि देश के हर कमजोर, वंचित और हाशिए पर खड़े व्यक्ति के लिए एक सुरक्षा कवच है, जिसने इस राष्ट्र को लोकतंत्र, समानता और न्याय की बुनियाद पर खड़ा किया है।
प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा कि हमारा संविधान हर नागरिक को स्वतंत्रता, समानता और न्याय का अधिकार देता है और सम्मान के साथ जीने की गारंटी प्रदान करता है, यही वह आधार है जो भारत की विविधता को जोड़ता है। उन्होंने कहा कि यह संविधान गरीबों, दलितों, पिछड़े वर्गों, आदिवासी समुदायों, महिलाओं और समाज के अंतिम व्यक्ति तक को सुरक्षा और अधिकार देता है, और इसीलिए इसकी रक्षा हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने आगे लिखा, “आइए हम हर हाल में अपने संविधान की रक्षा करने का संकल्प लें। सभी साथी नागरिकों को संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिंद! जय संविधान!” इस अवसर पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को नमन करते हुए कहा कि बाबासाहेब ने भारत को जो अधिकार और समानता का ढांचा दिया, उसके चलते आज हर नागरिक को गरिमा और न्याय की उम्मीद मिलती है। केजरीवाल ने कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब सत्ता नहीं, बल्कि संविधान सर्वोपरि हो।
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि संविधान दिवस हमें याद दिलाता है कि भाईचारा, न्याय, आज़ादी और समानता सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि इस देश की आत्मा हैं, जिन्हें सुरक्षित रखना आज की पीढ़ी की ज़िम्मेदारी है। वहीं, आंध्र प्रदेश में YSR कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी और कहा कि 76 वर्ष पहले दिए गए इस संविधान ने हर व्यक्ति को बराबरी और न्याय का अधिकार दिया, और आज सबसे बड़ी श्रद्धांजलि यह होगी कि हम उन मूल्यों को संरक्षित करें, लोकतंत्र को निर्भीक और पारदर्शी बनाए रखें और यह सुनिश्चित करें कि संविधान की भावना कभी कमजोर न पड़े। संविधान दिवस, जिसे राष्ट्रीय विधि दिवस भी कहा जाता है, हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन वर्ष 1949 में भारत की संविधान सभा ने संविधान को अपनाया था, और 26 जनवरी 1950 को इसे पूर्ण रूप से लागू किया गया, जिसने भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य का स्वरूप दिया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देशभर में इस अवसर पर सरकारी कार्यालयों, विश्वविद्यालयों, न्यायालयों और स्कूलों में संविधान की प्रस्तावना का वाचन, संगोष्ठियों और जन-जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। क़ानून विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे अवसर लोकतांत्रिक मूल्यों को मज़बूत करने और युवाओं को संविधान की महत्ता समझाने का महत्वपूर्ण माध्यम होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि संविधान की आत्मा तब जीवित रहती है जब जनता अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो और सत्ता जवाबदेह बनी रहे। देश में कई स्थानों पर नागरिकों, विद्यार्थियों और सामाजिक संगठनों ने संविधान मार्च और जागरूकता सभाओं का आयोजन किया, जिसमें युवाओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि संविधान केवल किताबों तक सीमित न रहे, बल्कि व्यवहार में अपनाया जाए। इस बीच, सोशल मीडिया पर भी संविधान दिवस से जुड़े संदेशों की बाढ़ आ गई, #ConstitutionDay2025, #JaiSamvidhan और #RememberAmbedkar जैसे हैशटैग ट्रेंड करते रहे।
नागरिकों ने संविधान को देश की “शानदार पहचान और लोकतांत्रिक अस्तित्व की रीढ़” बताते हुए इसे संरक्षित रखने का संकल्प दोहराया। नई दिल्ली और कई राज्यों में सरकारी भवनों, संसद भवन और उच्च न्यायालयों को रोशन किया गया, जहां प्रस्तावना का वाचन करते हुए कहा गया—“हम, भारत के लोग…” जो भारत की लोकतांत्रिक आत्मा की सबसे गूंजती आवाज़ मानी जाती है। संविधान दिवस का यह आयोजन reminding करता है कि देश तभी आगे बढ़ेगा जब सबको बराबरी का अवसर, न्याय की पहुँच और सम्मान के साथ जीवन का अधिकार मिलेगा, और इसी भावना के साथ देशभर में संविधान दिवस मनाया गया।
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