पटना (गांधी मैदान):- बिहार की राजनीति में आज एक बड़ा मोड़ आया है। नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। पटना के गांधी मैदान में हुए शपथग्रहण समारोह में राज्यपाल ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। नीतीश कुमार के साथ उनके नए मंत्रिमंडल के कई मंत्रियों ने भी शपथ ली। इस शपथ के साथ नीतीश कुमार ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वे बिहार की राजनीति के सबसे अनुभवी और प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। फिलहाल, 10वीं बार शपथ लेकर नीतीश कुमार ने राजनीति में एक और नया रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को कुल 202 सीटें मिली हैं. भाजपा ने 89 सीटों पर जीत दर्ज की. दूसरे नंबर पर नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) 85 सीटों के साथ है. वहीं, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (आर) ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को पांच और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को चार सीटों पर जीत मिली है.
चलिए अब आपको नीतीश कुमार के राजनैतिक सफर से रूबरू करवाते है
बिहार की राजनीति में चाणक्य नाम से मशहूर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक मंझे हुए राजनेता हैं। नीतीश कुमार ने सबसे पहले राज्य के युवा संगठन से जुड़कर छात्र राजनीति की शुरुआत की। धीरे-धीरे उनकी कार्यशैली और मेहनत ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। बिहार के पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में हुआ था। नीतीश का उपनाम मुन्ना है। उनके पिता कविराज राम लखन सिंह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे और माता का नाम परमेश्वरी देवी था।
नीतीश कुमार ने राजनीति के गुण जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नाडीज से सीखे थे। नीतीश ने 22 फरवरी 1973 को पेशे से इंजीनियर मंजू कुमारी सिन्हा से शादी की थी। नीतीश कुमार का एक बेटा है जिसका नाम निशांत कुमार है निशांत बीआईटी से ग्रेजुएट है।
वहीं नीतीश कुमार के एजुकेशन क्वालिफिकेशन की बात करें तो उनकी शुरुआती पढ़ाई बख्तियारपुर से हुई है। कहा जाता है कि नीतीश स्कूल समय से ही मेहनती और जिज्ञासु छात्र थे। उन्होंने श्री गणेश हाई स्कूल से हाई स्कूल में अपनी कक्षा में टॉप किया था। इसके बाद उन्होंने पटना के साइंस कॉलेज में दाखिला लिया था।
यहां से 12वीं पास करने के बाद उन्होंने वर्ष 1972 में बिहार कॉलेज ऑफ इंजनियरिंग (NIT Patna) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने राज्य के बिजली विभाग में बतौर इंजीनियर नौकरी भी की। हालांकि इस दौरान वह छात्र राजनीति में बड़ा चेहरा बन चुके थे। ऐसे में जल्द ही उन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा।
नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर की बात की जाए तो उन्होंने साल 1977 से अपने राजनीतिक करियर की सुरुवात की थी। नीतीश कुमार ने जनता पार्टी के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। साल 1985 को नीतीश कुमार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। नीतीश का राजनीतिक कद धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था।
इसी बीच साल 1987 को नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बन गए। नीतीश राजनीति में पारंगत हो ही रहे थे कि साल 1989 को नीतीश कुमार को जनता दल (बिहार) का महासचिव बना दिया गया। अब तक नीतीश ने अच्छी खासी राजनीतिक पहचान बना ली थी। साल 1989 नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर के लिए काफी अहम था। इस साल नीतीश कुमार 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए। लोकसभा के लिए ये नीतीश कुमार का पहला कार्यकाल था। इसके बाद साल 1990 में नीतीश अप्रैल से नवंबर तक कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे। नीतीश का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता जा रहा था। साल 1991 में दसवीं लोकसभा का चुनाव हुए नीतीश एक बार फिर से संसद में पहुंचे । इसी साल नीतिश कुमार जनता दल के महासचिव बने और संसद में जनता दल के उपनेता भी बने।
करीब दो साल बाद 1993 को नीतीश कुमार को कृषि समित का चेयरमैन बनाया गया। एक बार फिर से आम चुनाव ने दस्तक दी। साल 1996 में नीतीश कुमार 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए। नीतीश साल 1996–98 तक रक्षा समिति के सदस्य भी रहे। साल 1998 में नीतीश कुमार फिर से 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1998-99 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेलवे मंत्री भी रहे।
एक बार फिर चुनाव हुए साल 1999 में नीतीश कुमार 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए। इस साल नीतीश कुमार केंद्रीय कृषि मंत्री भी रहे। साल 2000 में नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर का सबसे अहम मोड़ था। इस साल नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनका कार्यकाल 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक चला। साल 2000 में नीतीश एक बार फिर से केंद्रीय कृषि मंत्री रहे। साल 2001 में नीतीश को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। साल 2001 से 2004 तक नीतीश केंद्रीय रेलमंत्री रहे। साल 2002 के गुजरात दंगे भी नीतीश कुमार के कार्यकाल के दौरान हुए थे। साल 2004 में नीतीश 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए। साल 2005 में नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ये कार्यकाल 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक चला। 26 नवंबर 2010 को नीतीश कुमार तीसरी बार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब तक कुल 9 बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की कमान सभाल चुके है
फरवरी 2015 में वे चौथी बार 22 फरवरी 2015 से लेकर 19. नवंबर 2015 तक कम समय के लिए सही पर नीतीश फिर एक बार मुख्यमंत्री बने। उसी साल होने वाला विधानसभा चुनाव उनका सबसे कठिन चुनाव माना जा रहा था। इस बार वे RJD और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन में उतरे, ताकि BJP को कड़ी टक्कर दे सकें.
2015 के चुनाव में महागठबंधन को जबरदस्त जीत मिली, RJD सबसे बड़ी पार्टी बनी और जेडीयू दूसरे नंबर पर। 20 नवंबर 2015 को नीतीश 5वीं बार CM बने और तेजस्वी यादव डिप्टी चीफ मिनिस्टर बने। इस चुनाव में प्रशांत किशोर की टीम ने DNA कैंपेन, हर घर दस्तक और साइकिल कैंपेन जैसी रणनीतियों से बड़ा रोल निभाया।
जब उस वक्त डिप्टी CM तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और RJD ने उन्हें हटाने से मना किया, तो नीतीश ने बिना देर किए 26 जुलाई 2017 को इस्तीफा दे दिया और महागठबंधन तोड़कर उसी दिन NDA में वापस चले गए। कुछ घंटों बाद वे फिर मुख्यमंत्री बन गए, यही वजह है कि उन्हें ‘पलटू राम’ भी कहा जाने लगा।
2020 के चुनाव में NDA को कम अंतर से जीत मिली, 125 बनाम 110 । जेडीयू की सीटें कम हुईं, लेकिन मुख्यमंत्री फिर भी नीतीश ही बने।
इससे साबित हुआ कि बिहार में गठबंधन चाहे कोई भी हो, चेहरा अक्सर वही होते हैं। बाद में उन्होंने गठबंधन बदला और अगस्त 2022 में RJD–कांग्रेस के साथ फिर महागठबंधन बना लिया।
2022 में BJP से अलग होकर महागठबंधन में लौटे और 10 अगस्त को 8वीं बार CM बने। इस दौरान उन्होंने समाधान यात्रा की- 38 जिलों में जाकर जमीन पर चल रहे कामों की समीक्षा की। 2023 के कास्ट-बेस्ड सर्वे की शुरुआत भी इसी दौर में हुई। लेकिन नवंबर 2023 में महिलाओं पर टिप्पणी को लेकर विवाद हुआ, जिसके बाद माफी मांगनी पड़ी। जनवरी 2024 में उन्होंने फिर सरकार छोड़ दी और NDA में लौट आए।
28 जनवरी 2024 को उन्होंने RJD–कांग्रेस गठबंधन छोड़कर फिर NDA में वापसी की और उसी दिन 9वीं बार मुख्यमंत्री बने। 2025 में एक केस भी दर्ज हुआ जिसमें उन पर कार्यक्रम में राष्ट्रीय गान का सम्मान न करने का आरोप लगा।
नीतीश कुमार का सफर ऐसा है की बिहार में शायद ही कोई नेता इतने उतार-चढ़ाव से गुजरा हो। कभी सुशासन वाले फैसलों से लोगों का दिल जीता, कभी गठबंधन बदलने से चर्चा में रहे। लेकिन एक चीज लगातार रही, बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार हमेशा मेन करैक्टर रहे हैं ।
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