मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद पश्चिम बंगाल के सियासी गलियारों में ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ लोगों का आक्रोश देखने को मिल रहा है। साथ ही साथ राष्ट्रपति शासन की मांग भी सुनने को मिल रही है। अभी बीते दिन जहां विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे थे, वहीं अब भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती ने भी इस मांग को उठाते हुए आवाज बुलंद की है।
मिथुन चक्रवर्ती ने किया राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार करने का आग्रह
दरअसल, अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती ने केंद्र से पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार करने का आग्रह किया है। उन्होंने वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के कारण मुर्शिदाबाद जिले में एक सप्ताह तक हुई हिंसा के बाद राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताई है।
चक्रवर्ती ने कहा कि मैंने कई बार अनुरोध किया है और मैं अभी भी गृह मंत्री से अनुरोध कर रहा हूं। कम से कम, कृपया चुनाव के दौरान दो महीने के लिए अंदर सेना तैनात करें। अगर उन्हें तैनात किया जाता है, तो निष्पक्ष चुनाव हो सकेंगे।
हिंसक घटनाओं के बाद आई मिथुन चक्रवर्ती की यह मांग
अभिनेता की यह टिप्पणी 8 से 12 अप्रैल के बीच शमशेरगंज, सुती, धुलियान और जंगीपुर जैसे कई मुस्लिम बहुल कस्बों में हुई सांप्रदायिक झड़पों के बीच आई है। हिंसा में तीन लोग मारे गए, सैकड़ों गिरफ्तार हुए और हजारों लोग विस्थापित हुए, जिसके कारण राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों को हस्तक्षेप करना पड़ा।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अपने दौरे में देरी करने के अनुरोध को नज़रअंदाज़ करते हुए शुक्रवार को मालदा पहुँच गए। आज, उनके मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज, धुलियान, सुती और जंगीपुर के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करने और ज़मीनी हालात का जायज़ा लेने की उम्मीद है। अपने निर्धारित दौरे से पहले राज्यपाल ने मालदा के एक स्कूल में राहत शिविर में विस्थापित परिवारों से मुलाकात की।
बोस ने कहा कि मैंने शिविर में रह रहे परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। मैंने उनसे विस्तृत चर्चा की। मैंने उनकी शिकायतें सुनीं और उनकी भावनाओं को समझा। निश्चित रूप से, सक्रिय कार्रवाई की जाएगी।
हिन्दुओं के घरों में घुसकर महिलाओं पर किया गया शारीरिक हमला
गवर्नर ने दावा किया कि जिन महिलाओं से उन्होंने बात की उनमें से कई ने बताया कि उनके साथ शारीरिक रूप से मारपीट और दुर्व्यवहार किया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें डराया-धमकाया गया। बदमाशों ने उनके घरों में घुसकर उन पर शारीरिक हमला किया और अपशब्दों का इस्तेमाल किया। उन सभी ने मुझसे कहा कि वे सुरक्षा चाहते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि उनके घर, जो क्षतिग्रस्त हो गए और जल गए, उनका पुनर्निर्माण किया जाए। और उन्होंने आजीविका के अवसरों की आवश्यकता के बारे में भी बात की।
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर के नेतृत्व में एक टीम ने राहत शिविरों का दौरा किया और अशांति से प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। मीडिया से बात करते हुए रहाटकर ने कहा कि हर किसी को महिलाओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, और यह संवेदनशीलता ही महिलाओं के लिए न्याय सुनिश्चित कर सकती है। इस तरह की स्थिति तब होती है जब संवेदनशीलता की कमी होती है।
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एनसीडब्ल्यू द्वारा गठित जांच समिति की सदस्य रहाटकर महिलाओं और बच्चों पर हिंसा के प्रभाव की जांच के लिए मालदा और मुर्शिदाबाद के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।
आपको बता दें कि अभी बीते दिन विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। मुर्शिदाबाद हिंसा पर देशव्यापी प्रदर्शन की बात करते हुए उन्होंने कहा कि शनिवार को वीएचपी कार्यकर्ता भारत के जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करेंगे और राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग करते हुए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे।
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