पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को देश की नई संसद का उद्घाटन करेंगे, इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस अर्जी को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता ने इस अर्जी के जरिये SC से मांग की थी कि भारत के राष्ट्रपति के हाथों से नए संसद भवन के उद्घाटन करने के लिए लोकसभा सचिवालय और भारत को निर्देश किया जाए.

एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन करने पर याचिका दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान वकील ने संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देकर राष्ट्रपति को संसद का अभिन्न अंग बताया. इस पर SC ने पूछा कि यहां अनुच्छेद 79 का संदर्भ क्यों दिया जा रहा है? ये कोर्ट का विषय नहीं है. अदालत ने फटकार लगाते हुए याचिका खारिज कर दी और कहा कि क्यों न हम आपकी याचिका पर जुर्माना लगा दें.
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पीएम मोदी के हाथों से 28 मई को होने वाले नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर जमकर सियासत हो रही है. अबतक विपक्ष के 21 राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति द्वारा नई संसद के उद्घाटन की मांग करते हुए समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है. वहीं, एनडीए के घटक समेत 25 पार्टियों ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने की घोषणा की है.
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