आधुनिक हथियारों से लैस स्वदेशी मिसाइल विध्वंस INS मोरमुगाओ को देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना को सौंपा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई के आधुनिक सेंसर और रडार से लैस युद्धपोत इंडियन नेवी को सौंपा है। इस विध्वंसक युद्धपोत की मदद से भारतीय नौसेना अब हिंद महासागर में अपनी बैठ को मजबूत कर सकता है।
बता दें कि जिस तरह चीन हिंद महासागर में अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहा है उस समय इस युद्धपोत का नौसेना में शामिल होना काफी अहम कदम माना जा रहा है। इस खास मौके पर नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि यह उपलब्धि पिछले दशक में युद्धपोत डिजाइन और निर्माण क्षमता में हमारे द्वारा उठाए गए बड़े कदमों का संकेत है। नौसेना में शहरों के नाम पर जहाजों के नाम रखने की परंपरा है जो दोनों के बीच एक स्थायी कड़ी बनाती है।
उन्होंने आगे कहा कि स्वदेशी युद्धपोत निर्माण के इतिहास में आज का दिन एक और मील का पत्थर है क्योंकि हमने विध्वंसक मोरमुगाओ को चालू किया है। खासियत है कि एक साल पहले विशाखापत्तनम को पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
ये है युद्धपोत की खासियत
INS मोरमुगाओ की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और 7500 टन का विस्थापन है। इसकी रफ्तार 48 किलोमीटर प्रतिघंटा की है। इसके नौसेना में शामिल होने से नौसेना की ताकत में तीन गुणा का इजाफा हुआ है। बता दें कि मोरमुगाओ पर ब्रह्मोस, बराक 8 जैसी आठ मिसाइलें लग सकती है। इसकी खासियत है कि ये हवा में मौजूद लक्ष्य को कई किलोमीटर दूर से भी पहचान सकता है। इस खासियत के कारण ये सटीक निशाना लगा सकता है।
मोरमुगाओ मध्यम दूरी से हवा में वार करने वाली SAM मिसाइल, STS मिसाइल (जो सतह से सतह पर वार करती है), पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो ट्यूब और लॉन्चर, सुपर रैपिड गन माउंट, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम लगे हैं. ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम, फोल्डेबल हैंगर डोर्स, हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम, क्लोज-इन वेपन सिस्टम और बो माउंटेड सोनार से लैस है।
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बता दें कि इस युद्धपोत को भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजायन किया गया है। इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है। इस युद्धपोत का नाम पश्चिमी तट पर गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर के नाम पर रखा गया है। इसे पहली बार पिछले साल 19 दिसंबर को समुद्र में उतारा गया था, जब गोवा में पुर्तगाली शासन से मुक्ति पाने के 60 वर्ष पूरे हुए थे।