23 सितंबर 2022 को ही भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से कनाडा में रहने वाले भारतीय नागरिकों और छात्रों को सतर्क रहने की सलाह दी थी। इस बात को करीब 10 दिन ही हुए हैं और ब्रैम्पटन में एक हिंदू ग्रंथ के नाम पर बने पार्क को निशाना बनाया गया। भारत की तरफ से इस घटना को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया भी दी गई, लेकिन हिंसा का दौर यहां खत्म नहीं होता। अगर बीते कुछ महीनों या सालों पर गौर करें, तो कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों, हेट क्राइम यानी नफरत के चलते अपराध जैसी कई चीजों का सामना भारतीय नागरिकों या देश से जुड़ी चीजों को करना पड़ा है।
पहले ताजा घटना को समझें
ब्रैम्पटन स्थिति एक नए बाग ‘श्री भगवद गीता पार्क’ में तोड़फोड़ की गई। इस घटना की पुष्टि स्थानीय मेयर पैट्रिक ब्राउन ने ट्विटर के जरिए की है। कनाडा में भारतीय उच्चायोग की तरफ से भी इस घटना को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी गई है। ब्राउन ने साफ कर दिया है कि ऐसी चीजों पर कनाडा की अथॉरिटी ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाती हैं। हालांकि, पिछली घटनाओं को देखें, तो यह दावा खोखला नजर आता है।
इस साल हुई कुछ घटनाओं पर नजर डालते हैं
फरवरी 2022: उस दौरान महज 2-3 महीनों के अंतराल में ही ग्रेटर टोरंटो इलाके के 6 हिंदू मंदिरों में चोरी की खबरें सामने आई। इनके चलते स्थानीय हिंदू समुदाय काफी चिंतित हो गया था। अधिकांश मामलों में दानपेटी से नगदी, कुछ जेवर चुराए गए थे। खबरें हैं कि इनकी शुरुआत नवंबर 2021 में हिंदू सभा मंदिर और श्री जगन्नाथ मंदिर में चोरी से हुई थीं। खास बात है कि ये दोनों मंदिर भी ब्रैंम्पटन में ही हैं।
मार्च 2022: पंजाब के कपूरथला की 25 वर्षीय हरमनदीप कौर की हत्या कर दी गई थी। कौर के सिर पर कथित तौर पर कनाडाई नागरिक ने रॉड से हमला किया था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी। भारतीय नागरिक ने कनाडा में ही सिक्षा हासिल की थी।
अप्रैल 2022: गाजियाबाद के रहने वाले 21 वर्षीय छात्र कार्तिक वासुदेव को कनाडा के टोरंटो में गोली मार दी गई। वह सेनेका यूनिवर्सिटी से ग्लोबल मैनेजमेंट की शिक्षा हासिल कर रहे थे। कॉलेज शुरू करने के कुछ समय बाद ही उन्होंने डाउनटाउन इलाके में एक रेस्त्रां में काम करना शुरू किया था। काम पर जाते वक्त ही उन्हें गोली मारी गई थी।
जुलाई 2022: कनाडा के ओंटारियो में रिचमंड हिल सिटी के यॉन्ग स्ट्रीट और गार्डन एवेन्यू इलाके में स्थित विष्णु मंदिर में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा तोड़ दी गई। इस बात की जानकारी यॉर्क रीजनल पुलिस ने दी थी। इस घटना पर भी भारत की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की गई थी। भारत ने घटना की जांच की मांग भी की थी।
अगस्त 2022: टोरंटो के उपनगरीय इलाके में तीन हथियार धारी लोगों ने पंजाबी मीडिया होस्ट जोती सिंह मान पर हमला कर दिया था। कनाडा में बड़े स्तर पर इस क्रूर हमले का वीडियो वायरल हुआ था। वह ग्रेटर टोरंटो इलाके के ब्रैम्पटन के रहने वाले थे।
सितंबर 2022: टोरंटो स्थित स्वामीनारायण मंदिर में दीवारों पर भारत विरोधी बातें लिखी गई। खबरें आई थी कि दीवारों पर खालिस्तान समर्थित नारे भी लिखे गए थे। भारत ने मामले पर नाराजगी जताई और कार्रवाई की मांग की थी।
पहले भी हुई हैं घटनाएं
सितंबर 2021: मिसिसॉगा में पार्क में पूजा कर रहे हिंदू परिवार पर किशोरों ने हमला कर दिया।
सितंबर 2021: 23 साल के युवा प्रभजोत सिंह खत्री की उसके अपार्टमेंट में ही हत्या कर दी गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस घटना के तार भी नस्लीय हिंसा से जुड़े थे।
अगस्त 2021: कोमगाता मारू मेमोरियल को निशाना बनाया गया। वेंकूवर को कोल हार्बर में हुए अटैक को प्रवासियों की तरफ से नस्लीय हमला बताया गया था।
मार्च 2021: भारतीय नागरिकों की तरफ से आयोजित तिरंगा एंड मैपल रैली पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला कर दिया। ब्रैम्पटन में आयोजित कार रैली में खालिस्तान समर्थकों ने लोगों को अपशब्द कहे।
जून 2020: तमिलनाडु की छात्रा 23 वर्षीय रेचल एल्बर्ट को चाकुओं से हमला किया गया।
कनाडा में भारतीय और खालिस्तान का एंगल
कनाडा में भारतीय प्रवासियों की संख्या काफी बड़ी है। कई छात्र उच्च शिक्षा के लिए कनाडा का रुख करते हैं। इस मामले में अमेरिका के बाद कनाडा दूसरे स्थान पर है। खास बात है कि भारत से कनाडा जाने वालों में सिख समुदाय की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। आंकड़े बताते हैं कि भारत से कनाडा जाने के लिए आवेदन देने वालों में 60 से 65 प्रतिशत पंजाबी हैं। बीते कुछ सालों में कनाडा में पंजाबी सिख समुदाय आर्थिक और राजनीतिक रूप से काफी मजबूत हुआ है। खबरें हैं कि समुदाय के कुछ वर्ग दशकों से खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं और उन्हें मदद भी मुहैया करा रहे हैं।
साल 2018 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो जब भारत आए थे, तो एक ऐसे शख्स को भी निमंत्रण चला गया था, जिसपर साल 1986 में पंजाब के मंत्री की हत्या का दोष था। हालांकि, कनाडा के अधिकारियों को इस निमंत्रण को वापस लेना पड़ गया था।
भारत के मामलों में दखल
भारत में तीन कृषि कानूनों को लेकर जमकर विरोध हुआ था। हालांकि, भारत सरकार ने इन्हें वापस ले लिया था। उस दौरान पीएम ट्रूडो की तरफ से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्थन दिया गया और बताय था कि हालात ‘चिंताजनक’ हैं। गुरुपर्व के मौके पर उन्होंने कहा था, ‘…मैं आपको याद दिला दूं कि कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा करेगा।’
इधर, भारत सरकार की तरफ से भी तीखी प्रतिक्रिया दी गई और कनाडा के नेताओं की टिप्पणियों पर सवाल उठा दिए। भारत ने कनाडा के नेताओं की तरफ से दिए गए बयानों को ‘गलत जानकारी’ और ‘अनुचित’ बताया था।
कथित खालिस्तान जनमत संग्रह
भाषा के अनुसार, भारत ने कनाडा में ‘तथाकथित खालिस्तानी जनमत संग्रह’ पर भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि यह ‘बेहद आपत्तिजनक’ है कि एक मित्र देश में कट्टरपंथी एवं चरमपंथी तत्वों को राजनीति से प्रेरित ऐसी गतिविधि की इजाजत दी गई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा था कि भारत ने इस मामले को राजनयिक माध्यमों से कनाडा के प्रशासन के समक्ष उठाया है और इस मुद्दे को कनाडा के समक्ष उठाना जारी रखेगा। उन्होंने तथाकथित खालिस्तानी जनमत संग्रह को फर्जी कवायद करार दिया था।
विदेश मंत्रालय ने सितंबर में कहा था कि कनाडा में घृणा अपराध, नस्ली हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियों से जुड़ी घटनाओं में तीव्र वृद्धि हुई है, ऐसे में वहां भारतीय नागरिकों और छात्रों को सचेत एवं चौकस रहने की सलाह दी जाती है।