एफ-16 वह फाइटर जेट जिसे ‘फाइटिंग फाल्कन’ (बाज) के तौर पर भी जानते हैं, इन दिनों अमेरिका और पाकिस्तान को करीब लाने में लगा हुआ है। लेकिन इसी फाइटर जेट की वजह से भारत और अमेरिका के रिश्तों पर भी खासा असर पड़ने वाला है। यह बात भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अपने अमेरिकी समकक्ष एंटोनी ब्लिंकन के साथ मुलाकात के बाद स्पष्ट कर दी थी। अमेरिका ने एक 45 करोड़ डॉलर के साथ एक पैकेज डीज के तहत इन फाइटर जेट्स को अपग्रेड करने का फैसला किया है। यह वही फाइटर जेट है जिसे साल 2019 में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने अपने मिग-21 से ढेर कर दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का यह फैसला भारत के साथ रिश्तों को प्रभावित कर सकता है।
जयशंकर की दो टूक
भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से पहले ही इस बारे में विरोध जताया जा चुका है। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष जहां यह मसला उठा तो वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लॉयड ऑस्टिन को एक फोन कॉल में अपनी नाराजगी जाहिर की। इसके बाद अमेरिका में भारतीय समुदाय से मुलाकात के बाद जब प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई तो उसमें जयशंकर का गुस्सा सामने आ गया।
जयशंकर ने कहा, ‘अमेरिका के लिए अब समय है जब उसे इस रिश्ते की खूबियों को समझना होगा और यह पता करना पड़ेगा कि उसे इससे क्या हासिल होगा। अगर कोई यह कहे कि यह काउंटर-टेररिज्म के लिए किया गया है और आप एफ-16 जैसे एयरक्राफ्ट की क्षमताओं को बढ़ाते हैं जो हर कोई जानता है कि यह एयरक्राफ्ट कहां तैनात हैं और उनका क्या प्रयोग है। ऐसी बातें करके आप किसी को मूर्ख नहीं बना सकते हैं।’
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने इस पैकेज डील का बचाव किया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के साथ रिश्ते अलग-अलग हैं। उनका कहना था कि यह एफ-16 के लिए वह निरंतरता कार्यक्रम है जिसका इंतजार पाकिस्तान को पिछले कई बरसों से था। यह कोई नए जेट्स, नया सिस्टम या फिर नए हथियार नहीं हैं। बल्कि यह उन्हीं जेट्स का अपग्रेडेशन है जो पहले से पाकिस्तान के पास हैं। ब्लिंकन की मानें तो यह अमेरिका की जिम्मेदारी और बाध्यता है कि जिन देशों को सैन्य मदद दी गई है, उसका रखरखाव किया जाए।
क्यों और कैसे मिले एफ-16
साल 1981 में जब अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध जारी था तो उस समय ही अमेरिका ने पाकिस्तान को 40 एफ-16 बेचे थे। इन जेट्स का प्रयोग मुजाहिद्दीनों के ट्रेनिंग कैंप्स की सुरक्षा के लिए किया गया था। साथ ही इन्हें सोवियत जेट्स और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को भी शूट करने के लिए यूज किया गया था। पहली डील में ब्लॉक-15 वैरियंट की डिलीवरी हुई था।
इसके बाद जब सन् 1990 में अफगानिस्तान में युद्ध खत्म हुआ तो अमेरिका ने पाकिस्तान को 28 और एफ-16 देने का फैसला रद्द कर किया। उस समय पाकिस्तान ने एडवांस में ही 685 लाख डॉलर की रकम अदा कर दी थी। हालांकि बाद में अमेरिका ने उस रकम को वापस कर दिया। साल 2005 और 2015 में पाकिस्तान और अमेरिका का आपसी सहयोग फिर से शुरू हुआ। इसके साथ ही अमेरिका ने एफ-16 की बिक्री को बहाल कर दिया। पाकिस्तान को 23 एफ-16 As और Bs मिले। पाकिस्तान के पास इस समय करीब 85 एफ-16 हैं ये अलग-अलग वर्जन के हैं।
ट्रंप ने रोकी मदद
साल 2016 में ओबामा प्रशासन ने आठ और एफ-16 की डील को मंजूरी दी थी। लेकिन अमेरिकी कांग्रेस ने छूट के तहत एफ-16 वाले ओबामा के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। पाकिस्तान ने इसके साथ ही डील को कैंसिल कर दिया। साल 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को मिलने वाली दो अरब डॉलर की सुरक्षा मदद रोक दी थी।
ट्रंप ने वह फैसला अफगान-तालिबान और हक्कानी आतंकी संगठन की वजह से उठाया था जो पाक सरजमीं से अपना काम करते हैं। उनका कहना था कि पाकिस्तान इन संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगार बना हुआ है और इसकी वजह से अफगानिस्तान में अमेरिकी अगुवाई वाले सुरक्षा बलों पर हमले हो रहे हैं। लेकिन उनके उत्तराधिकारी जो बाइडेन ने फैसला बदला और अब इन्हें अपग्रेड किया जाएगा।
अपनी बातों से मुकरता अमेरिका
अमेरिका ने पाकिस्तान पर कई बार यह आरोप लगाया है कि वह दोहरी डील करता आ रहा है और साथ ही अफगानिस्तान में उसे एक गैर-भरोसेमंद साथी करार दिया है। इस तरह के घटनाक्रमों के बीच यह इस तरह की पहली डील है। इस डील के साथ ही अब यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या पाकिस्तान के लिए अमेरिका की सोच बदल रही है। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में आने के बाद यह पहला ऐसा पैकेज है जो पाकिस्तान को दिया गया है। भारत इसी बात से खासा चिंतित है। भारत का मानना है कि अमेरिका का यह कदम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर सकता है।
पाकिस्तान करेगा गलत प्रयोग!
इस डील के बाद पाकिस्तान एक बार से भारत विरोधी आतंकी संगठनों को मदद देने में तेजी दिखा सकता है। साल 2019 में विंग कमांडर अभिनंदन ने एफ-16 को ढेर किया और अमेरिका ने आज तक भारत के दावे को स्वीकार नहीं किया है। वहीं ब्लिंकन इस पूरे मामले को जानते हुए आंख बंद करके बैठे हैं। उस घटना ने साबित कर दिया था कि पाकिस्तान एफ-16 का प्रयोग भारत के खिलाफ कर सकता है और इसके सुबूत भी मौजूद हैं। इस तरह की मदद से पाकिस्तान को इन जेट्स का गलत प्रयोग करने की प्रेरणा मिलेगी।
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इस डील का एक और पहलू है। भारत इस समय पश्चिमी सीमा के अलावा पूर्वी मोर्चे पर चीन की आक्रामकता का सामना कर रहा है। ऐसे में पाकिस्तान को अपग्रेडेड एफ-16 से लैस करके अमेरिका सिर्फ क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा दे रहा है। इस डील के बाद अब भारत के साथ होने वाली एफ-21 की डील पर भी आशंका के बादल गहरा गए हैं।