बिहार की राजनीति में हुए बदलाव का असर महाराष्ट्र में भी देखने को मिल रहा है। खबर है कि शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने महाविकास अघाड़ी के बने रहने की इच्छा जाहिर की है। इस संबंध में राकंपा नेताओं ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात की है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होकर नया गठबंधन बनाया है, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, वाम दल, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा शामिल हैं।

बुधवार को एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं ने ठाकरे से मुलाकात की थी। इनमें विपक्ष के नेता अजित पवार, प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और पूर्व मंत्री छगन भुजवल, सुनील तताकारे जैसे नेता शामिल रहे। इन नेताओं ने ठाकरे के आधिकारिक आवास मातोश्री में करीब एक घंटे तक चर्चा की। खास बात है कि ठाकरे के इस्तीफे के बाद से ही एनसीपी और शिवसेना के बीच संपर्क नहीं था।
एक वरिष्ठ नेता ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘एनसीपी नेतृत्व का मानना है कि ठाकरे को यह मानने की जरूरत है कि उनकी एकता उनके ही अस्तित्व के लिए कही क्यों जरूरी है।’ उन्होंने कहा, ‘कानून लड़ाई लंबी चलने की संभावना है, लेकिन अगर सभी तीन दल साथ रहेंगे और मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो राज्य में राजनीतिक फायदा भी उनके पक्ष में होगा।’
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उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के विपक्षी दलों के साथ जुड़ते ही राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक तस्वीर बदल गई है। उन्होंने बताया कि अगर सभी विपक्षी दल साथ आएं, तो चीजें बदल सकती हैं। साल 2019 में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई थी, लेकिन शिवसेना में विधायकों की बगावत के बाद सरकार गिर गई थी।
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