मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष में दो बार विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक आयोजित किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इस निर्णय के बाद सभी विभागों में विभागीय पदोन्नति समिति की नियमित बैठक के बाद भी रिक्त बचे पदों के लिए समिति की एक बैठक और आयोजित हो सकेगी.
प्रस्ताव के अनुसार, सभी सेवाओं मे पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों पर यदि नियमित डीपीसी 30 सितंबर से पूर्व हो जाती है एवं डीपीसी के पश्चात किसी पद/संवर्ग के 15 प्रतिशत से अधिक पद 31 दिसम्बर तक रिक्त हो जाते हैं, तो ऐसे पदों को भरने के लिए डीपीसी अनुशंसाओं का रिव्यू किया जा सकेगा तथा उसी वित्तीय वर्ष में 31 मार्च तक डीपीसी कर भरा जा सकेगा.
उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष में 1 अप्रेल से पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. अधिकांश विभागों में जून-जुलाई तक वार्षिक नियमित पदोन्नति समिति की बैठक आयोजित कर ली जाती है. डीपीसी में 1 अप्रेल की स्थिति में पूरे वर्ष की सभी संभावित रिक्तियों को शामिल किया जाता है.
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नियमित डीपीसी हो जाने के बाद भी सेवा से पृथक्कीकरण, अनिवार्य सेवानिवृत्ति, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, निधन, पदोन्नति स्वीकार नहीं करने जैसे विभिन्न कारणों से रिक्तियां उत्पन्न हो जाती हैं. इन रिक्तियों को अब समय से भरा जा सकेगा. मुख्यमंत्री द्वारा इस प्रस्ताव के अनुमोदन से पात्र राज्य कार्मिकों को पदोन्नति के अधिक अवसर प्राप्त होंगे तथा विभागों को राजकार्य के लिए अधिकारी-कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी.