उत्तर प्रदेश के देवबंद में आज यानी 28 मई से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दो दिन का सम्मेलन हो रहा है. इस सम्मेलन में देश भर से आए जमीयत से जुड़े उलेमा देश के हालात और मुस्लिमों के उत्थान को लेकर विभिन्न प्रस्ताव रखें. वहीं इस जलसे में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी अपनी बातें कहते हुए भावुक हो गए. मदनी ने कहा, “मस्जिदों के बारे चर्चा कर कल जमात फैसला लेगी. फैसले के बाद कोई कदम पीछे नहीं हटेगा. हम जुल्म को बर्दाश्त कर लेंगे, दुखों को सह लेंगे, लेकिन अपने मुल्क पर आंच नहीं आने देंगे.

महमूद असद मदनी ने वर्तमान हालात को लेकर शायरी के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की और इस दौरान वे भावुक भी हो गए. उन्होंने कहा कि हमें हमारे ही देश में अजनबी बना दिया गया. वहीं सम्मेलन में दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि हिंदुस्तान एक ऐसा चमन है, जिसमें हर धर्म, नजरिया व संस्कृति के लोग एक साथ आपस में प्यार मोहब्बत से रहते रहे है. लेकिन आज एक अजीब सा माहौल बनाकर देशवासियों को बांटने का षड्यंत्र रचा जा रहा है, जो कि देश की तरक्की के लिए नुकसानदायक है.
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सहारनपुर में आयोजित इस सम्मेलन में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की घटना में तीन प्रस्ताव पारित किए. जिसमें पहले प्रस्ताव, विधि आयोग की 267 वीं रिपोर्ट 2017 की सिफारिशों के अनुरूप तत्काल कदम उठाए जाएं, जिसमें कहा गया है कि उकसाने वाले लोगों को दंडित करने के लिए एक अलग कानून का मसौदा तैयार किया जाए. इस्लामोफोबिया को लेकर भी प्रस्ताव भी पेश किया गया. इस प्रस्ताव में इस्लामोफोबिया और मुस्लिमों के खिलाफ उकसावे की बढ़ती घटनाओं का जिक्र किया गया है.
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