आम आदमी के लिए समाधान केंद्र बन रहे हैं 8,500 जनऔषधि केंद्र : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुये कहा कि देशभर में 8,500 से अधिक जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। ये केंद्र अब केवल सरकारी स्टोर नहीं हैं बल्कि आम आदमी के लिए समाधान केंद्र बन रहे हैं।

प्रधानमंत्री सोमवार को “जन औषधि दिवस” के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार, ओडिशा, कर्नाटक, गुजरात और छत्तीसगढ़ के जन औषधि केन्द्र के संचालकों और जन औषधि योजना के लाभार्थियों के साथ संवाद कर रहे थे। जेनेरिक दवाओं के उपयोग और जन औषधि परियोजना के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक मार्च से पूरे देश में जन औषधि सप्ताह मनाया जा रहा है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जन-औषधि केंद्र तन को औषधि देते हैं, मन की चिंता को कम करने वाली भी औषधि हैं और धन को बचाकर जन-जन को राहत देने वाले केंद्र भी हैं। प्रधानमंत्री ने संतोष व्यक्त किया कि इस तरह के लाभ सभी वर्गों के लोगों को और देश के सभी हिस्सों में मिल रहे हैं। उन्होंने एक रुपये के सैनिटरी नैपकिन की सफलता का भी उल्लेख किया। 21 करोड़ सैनिटरी नैपकिन की बिक्री से पता चलता है कि जन औषधि केंद्रों ने पूरे देश में महिलाओं के जीवन को आसान बना दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तक देश में 8,500 से अधिक जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। ये केंद्र अब सिर्फ एक सरकारी स्टोर नहीं बल्कि आम आदमी के लिए समाधान केंद्र बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने कैंसर, तपेदिक, मधुमेह, हृदयरोग जैसी बीमारियों के इलाज के लिए आवश्यक 800 से अधिक दवाइयों की कीमत को भी नियंत्रित किया है। सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है कि स्टंट लगाने और घुटना प्रत्यारोपण की लागत भी नियंत्रित रहे।

उन्होंने नागरिकों के लिए चिकित्सा देखभाल को वहनीय बनाने के संबंध में आंकड़े देते हुये बताया कि 50 करोड़ से ज्यादा लोग आयुष्मान भारत योजना के दायरे में हैं। गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के 70 हजार करोड़ रुपये की बचत करते हुए 3 करोड़ से अधिक लोगों ने योजना का लाभ उठाया है। प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम से 550 करोड़ रुपए की बचत हुई है। घुटना प्रत्यारोपण और दवा मूल्य नियंत्रण से 13 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई।

प्रधानमंत्री ने बताया कि कुछ दिन पहले सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है, जिसका फायदा गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने तय किया है कि निजी मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर ही फीस ली जाएगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास देश के गरीब, निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए दवाओं की लागत कम करना है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य हर जिले में एक एम्स स्थापित करने का है।

इससे पूर्व पटना की लाभार्थी हिल्डा एंथनी के साथ बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री ने पूछा कि उन्हें जन औषधि दवाओं के बारे में कैसे पता चला। उन्होंने दवाओं की गुणवत्ता के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने उत्तर दिया कि उसे दवाओं से बहुत लाभ हुआ है क्योंकि वह अपनी मासिक दवाएं 1200- 1500 रुपये के बजाय 250 रुपये में प्राप्त करने में सक्षम हुई हैं। प्रधानमंत्री ने उनकी भावना की सराहना की और आशा व्यक्त की कि जन औषधि में लोगों का विश्वास उनके जैसे लोगों के माध्यम से बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग इस योजना का महान दूत हो सकता है। उन्होंने समाज के मध्यम और निम्न-मध्यम और गरीब वर्गों की वित्तीय स्थिति पर बीमारी के प्रभाव के बारे में भी बात की। उन्होंने समाज के साक्षर वर्ग से जन औषधि के लाभों के बारे में बात करने का आह्वान किया।

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मैसूर की बबीता राव के साथ बातचीत करते हुए, प्रधानमंत्री ने उनसे सोशल मीडिया के माध्यम से इस बात को फैलाने का आग्रह किया ताकि अधिक से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा सकें। प्रधानमंत्री ने डॉक्टरों से भी लोगों के बीच जन औषधि को बढ़ावा देने को कहा।