उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई पेंशन योजना पर अखिलेश यादव की घोषणा पर तंज़ करते हुए कहा कि यह योजना मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में 2004 में लागू हुई थी। 2007 से 2012 तक मायावती के समय से वापस नहीं लिया गया और 2012 से 2017 के बीच अखिलेश ने भी सुध नहीं ली।
उन्होंने कहा कि अखिलेश नई योजना की बात कर रहे हैं जबकि उन्होंने कर्मचारियों के साथ ज्यादती करते हुए राज्य सरकार का दस हज़ार करोड़ का अंशदान नहीं किया। यही नही पेंशन के नाम पर अखिलेश ने वृद्ध, दिव्यांग, विधवा की पेंशन और अनुसूचित जाति के छात्रों की स्कोलरशिप बंद करने का कुकृत्य किया। उन्होंने कहा कि 2017 में भाजपा सरकार ने फिर से पेंशन बहाल की और वृद्ध, दिव्यांग, विधवा को एक हज़ार रुपए प्रति माह पेंशन सुनिश्चित की।
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार में बिजली खरीद के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ था। उन्होंने गुरुवार को एक साक्षात्कार में कहा कि फ़र्ज़ी पॉवर परचेस अग्रीमेंट् (पी.पी.ए.) के तहत अखिलेश सरकार ने चीनी मिलों के साथ मिलकर 15-16 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीदी और प्रदेश सरकार पर 5000-6000 करोड़ का अतिरिक्त भार डाला। भाजपा सरकार ने 2017 के बाद वही बिजली 5-6 रुपए प्रति यूनिट पर खरीदी जो सपा सरकार में तीन गुना दाम पर खरीदी गयी थी।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि इतना बड़ा घोटाला तो सपा ने किया, लेकिन बिजली उपलब्धता के नाम पर सिर्फ दो तीन जिलों को बिजली दी गयी। जिसने प्रदेश को बिजली नहीं दी, वह अब मुफ्त बिजली देने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1947 से अब तक प्रदेश में जितनी बिजली का कुल उत्पादन हुआ, उसका एक तिहाई तो अप्रैल, 2017 से 2021 के बीच हुआ।