इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि बिजली चोरी के मामले में बना इलेक्ट्रिसिटी एक्ट एक विशेष कानून है। इसके तहत एडीजे रैंक के अधिकारी को बिजली चोरी से सम्बंधित मामलों को सुनने का अधिकार है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजली चोरी के आरोप में विशेष अदालत अपर सत्र न्यायाधीश गाजियाबाद द्वारा जारी सम्मन को वैध करार दिया और कहा कि यह क्षेत्राधिकार से बाहर नहीं है। कोर्ट ने कहा कि विशेष कानून सामान्य कानून पर प्रभावी होगा।
याचिका में यह कहते हुए चार्जशीट व सम्मन को चुनौती दी गई थी कि बिना केस कमिट हुए बिजली चोरी मामले में सीधे सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इलेक्ट्रीसिटी एक्ट में एक जिला जज रैंक के जज की विशेष अदालत को बिजली चोरी मामले सुनने का अधिकार है। कोर्ट ने बिजली चोरी मामले में विशेष अदालत के आदेश की कार्यवाही को रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्र ने गुलफाम की याचिका पर दिया है।
मालूम हो कि जूनियर इंजीनियर उमेश कुमार गुप्ता ने थाना एंटी पावर थेफ्ट गाजियाबाद में 28 दिसम्बर 20 को बिजली चोरी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई। जिसमें याची पर आरोप लगाया गया कि जब टीम चेकिंग करने 26 दिसम्बर 20 को याची के प्रतिष्ठान में गयी तो विद्युत चोरी पायी गई। विवेचना के बाद कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई और विशेष अदालत ने संज्ञान लेते हुए सम्मन जारी किया ।
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याची का कहना था कि निष्पक्ष जांच नहीं की गई। उसने बिजली चोरी नहीं की है और अपर सत्र न्यायाधीश को धारा 193 सीआरपीसी के तहत केस सुनने का अधिकार नहीं है। विपक्षी का कहना था कि धारा 193 के साथ धारा 194 को देखने से स्पष्ट है कि विशेष अदालत ने वैध कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्यवाही की है।