चक्रवर्ती राजा दशरथ के राज महल में श्री सीताराम विवाह महोत्सव शुक्रवार को शुभारम्भ हो गया। जिसके प्रथम दिवस श्रीराम कथा का कथा व्यास जगतगुरु राम दिनेशचार्य के द्वारा शुरू हुई।
महंत बिन्दूगाद्याचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य ने बताया कि इस बार राम विवाहोत्सव पर राजसी वैभव के साथ मनाएंगे। कोरोना के चलते दो वर्ष उत्सव में बाधा उत्पन्न हुई लेकिन इस वर्ष मंदिर निर्माण की खुशी भी उत्सव का उल्लास दोगुना हो गया है। उन्होंने
कहा कि, भगवान राम चेतना के प्रतीक हैं और माता सीता प्रकृति शक्ति की। चेतना और प्रकृति का मिलन ही सीताराम विवाहोत्सव है।
महंत रामशरण दास ने कहा कि श्री सीताराम विवाहोत्सव प्रभु के समीप ले जाने का सशक्त माध्यम है।उन्होंने बताया कि आठ दिसंबर को मंदिर से पूरे राजसी भव्यता के साथ रामबारात निकाली जाएगी। रस रूपी परमात्मा से जुड़ने के लिए जीवात्मा अनेक पद्धतियां अपनाता है। माधुर्य की उपासना या यूं कहे कि प्रभु के विवाह की उपासना उनके करीब ले जाती है। विवाह उपासना से प्रभु का सामीप्य पाया जा सकता है।
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इसी तरह रंगमहल, लक्ष्मण किला, श्रीराम वल्लभा कुंज, रसमोद कुंज, विअहुति भवन, सियाराम किला, जानकीघाट बड़ा स्थान सहित सम्पूर्ण राम नगरी के सभी मंदिरों में सीता राम विवाह महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। सीता राम विवाह पर्व आठ दिसंबर को रामनगरी के दर्जनों मंदिरों से राजसी भव्यता के साथ राम बारात भी निकाली जाएगी।