राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की ओर से अफगानिस्तान के हालात पर आयोजित एनएसए की क्षेत्रीय बैठक में तालिबान के शासन वाले देश के पड़ोसी और आसपास के देशों ने आतंकवाद, उग्रवाद और मजहबी कट्टरता के खिलाफ सामूहिक रवैया अपनाने का निश्चय किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की इस बैठक में भारत सहित आठ देशों ने भाग लिया। अफगानिस्तान की तालिबान सत्ता मुख्य समर्थक पाकिस्तान और चीन ने इस बैठक में भाग नहीं लिया। बैठक में रूस, ईरान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान ने भाग लिया। बैठक के बाद ‘दिल्ली घोषणा’ पत्र स्वीकार किया गया जिसमें अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार की स्थापना पर जोर दिया गया। ऐसी समावेशी सरकार जिसमें देश के सभी क्षेत्रों और जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व हो। साथ ही प्रशासन और राजनीतिक संस्थाओं में समाज के सभी वर्गों को शामिल किया जाए।
अफगानिस्तान के सुरक्षा हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए घोषणा पत्र में कहा गया कि वहां महिलाओं, बच्चों के मानवाधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। अफगानिस्तान के मानवीय संकट का उल्लेख करते हुए घोषणापत्र में कहा गया कि अफगान आवाम को सीधे रूप से बिना किसी बाधा के मानवीय सहायता मिलनी चाहिए।
सभी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ लड़ने का संकल्प व्यक्त करते हुए घोषणापत्र में कहा गया कि यह सुनिश्चित होना चाहिए कि अफगानिस्तान भविष्य में वैश्विक आतंकवाद की सुरक्षित पनाहगाह न बने। इसमें आतंकवादियों के आर्थिक स्रोत को बंद करने, आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने, मजहबी कट्टरपंथी विचारधारा का मुकाबला करने पर भी जोर दिया गया। साथ ही अफगानिस्तान से नशीले पदार्थों की तस्करी नहीं होने देने पर भी जोर दिया गया।
बैठक के प्रारंभ में अजीत डोभाल ने कहा कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम से क्षेत्रीय और पड़ोसी देशों पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है। इस संदर्भ में इन देशों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान और सहयोग की बड़ी आवश्यकता है। बैठक में रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार निकोलाई पात्रुशेव ने कहा कि अफगानिस्तान के हालात से निपटने के लिए क्षेत्रीय देशों की ओर से अलग-अलग प्रयास हो रहे हैं। इनके बीच तालमेल और समन्वय की जरूरत है।
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घोषणा पत्र में अफगानिस्तान की एकता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करते हुए कहा गया कि वहां के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। अफगानिस्तान में कुडूस, कंधार और काबुल में हुए आतंकी हमलों की निंदा की गई।