नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान ने कहा है कि लगभग 200 वर्षों तक चला भारत के स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष कई मामलों में विशेष है। इस संग्राम में आम और खास, हर तरह के लोगों ने उपनिवेशवाद और शोषण के विरुद्ध संघर्ष किया। इस लंबे संघर्ष के कई महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में आम जनता के बीच और अधिक जानकारियां ले जाने के आवश्यकता है।
भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो नैनीताल द्वारा भवाली स्थित उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी ‘उजाला’ में आयोजित स्वतंत्रता प्राप्ति की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित ‘अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम में न्यायमूर्ति चौहान ने बतौर मुख्य अतिथि कर्नाटक की रानी चिनप्पा सहित कई महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का जिक्र किया।
उन्होंने लोगों से घृणा, हिंसा, द्वेष जैसी विभाजन करने वाले प्रवृत्तियों से खुद को मुक्त रहने की आवश्यकता पर भी बल दिया और इसमें न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा की। कार्यक्रम में हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने संवैधानिक मूल्यों के महत्व को अधिक स्पष्टता से समझने की आवश्यकता पर बल दिया।
इससे पूर्व अतिथियों के स्वागत और कार्यक्रम के विषय प्रवेश पर भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी राजेश सिन्हा ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम उन्हीं सनातन भारतीयों मूल्यों पर टिका रहा जिसमें सत्य और न्याय को सबसे ऊंचा माना गया है और इसी कारण महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, अरविंदो घोष और वीर सावरकर जैसे अने स्वतंत्रता सेनानी सेनानियों ने अपने व्यक्तिगत जीवन की आहुति देकर भारत की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था।
कार्यक्रम में अकादमी के प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारी संतोष पश्चिमी ने स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न कानून विदों के योगदान की विस्तार से चर्चा करते हुए उनके मूल्यों के संरक्षण की बात कही। इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम पर एक लघु प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया गया है जिसमें प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारी व अन्य लोगों ने हिस्सा लिया और विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम में विभाग के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए।