गोपेश्वर। बदरीनाथ धाम के उच्च हिमालयी क्षेत्र इन दिनों राज्य पुष्प ब्रह्म कमल से गुलजार हो गया है। धाम में नीलकंठ की तलहटी में इन दिनों ब्रहम कमल अपने शबाब पर है। इससे यहां का सौंदर्य निखर गया है। नीलकंठ की यात्रा साहसिक पर्यटकों और आस्थावान तीर्थयात्रियों की पहली पसंद है। हालांकि वर्ष 2020 से कोरोना महामारी के चलते यहां पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की आवाजाही ठप है।
नीलकंठ पर्वत चमोली जिले के बदरीनाथ धाम से आठ कि.मी. की चढाई पार कर हिमालयी की 6596 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। नीलकंठ पर्वत को बदरीनाथ, केदारनाथ और सतोपंथ का बेस माना जाता है। नीलकंठ पर्वत ऋषिगंगा नदी का उद्गम स्थल है। यह स्थान 12 माह बर्फ से पटा रहता है। उच्च हिमालीय क्षेत्र होने के चलते यहां हिमालीय जड़ी-बूटियों के संसार मौजूद है। इन दिनों ग्लेशियरों के घटने के बाद यहां राज्य पुष्प ब्रहम कमल से नीलकंठ पर्वत की चोटी गुलजार हो गई है।
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसर नीलकंठ पर्वत को भगवान शिव के प्रिय स्थलों में एक माना जाता है। यह हिन्दू मतावलम्बियों के लिये विशिष्ट महत्व का स्थल है। स्थानीय लोगों के अनुसार कई बार चांदनी रात में पर्वत पर भगवान की तपस्यारत आकृति भी नजर आती है।