उत्तर भारत में पड़ रही जबरदस्त गर्मी के बीच पंजाब का सियासी माहौल एक बार फिर गर्म हो गया है। इस गर्मी की वजह सूबे की सत्तारूढ़ कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही तनातनी है। दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू ने बंगाल में पैदा हुई बिजली संकट को लेकर हाईवोल्टेज हंगामा शुरू कर दिया है। इस समस्या को लेकर सिद्धू ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को निशाना बनाते हुए तगड़ा हमला बोला है।
पंजाब सरकार पर फूटा सिद्धू का हाईवोल्टेज ड्रामा
बिजली संकट पर सवाल खड़े करते हुए सिद्धू ने अमरिंदर सरकार ने सवाल पूछे हैं। उन्होंने क्रमबद्ध कई ट्वीट करते हुए कहा कि पंजाब में पावर कट या एसी चलाने के लिए टाइमिंग फिक्स करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर सही तरीके से काम किया जाए तो। पंजाब इस वक्त 4:54 प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीद रहा है, जो नेशनल औसत और चंडीगढ़ के औसत से काफी ज्यादा है।
नवजोत सिंह सिद्धू ने आरोप लगाया कि पंजाब किसी अन्य राज्य से अधिक पैसे देकर बिजली खरीदता है। सिद्धू ने कहा कि बादल सरकार ने तीन कंपनियों से बिजली खरीद की बात तय की थी, 2020 तक हम इन्हीं से बिजली लेते आ रहे थे। लेकिन अब पंजाब को नेशनल ग्रिड से बिजली लेनी चाहिए क्योंकि यहां पर सस्ती बिजली मिलेगी।
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब विधानसभा में एक कानून पेश किया जा सकता है, जिससे बिजली के दामों पर एक कैप लगाई जा सकती है। ऐसा करने से पंजाब के लोगों का पैसा बच पाएगा। पंजाब में एक यूनिट पर होने वाली कमाई सबसे कम है, कंपनियों को प्रति यूनिट का चार्ज अधिक देना पड़ता है।
कांग्रेस नेता ने अपने ट्वीट में कहा कि पंजाब 9 हजार करोड़ रुपये सब्सिडी में देता है, दिल्ली सिर्फ 1699 करोड़ रुपये देता है। अगर पंजाब दिल्ली का मॉडल अपनाता है, तो उसे बचत होगी। लेकिन पंजाब को अपना खुद का एक मॉडल चाहिए।
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नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि निजी ताप संयंत्रों को अनुचित और अत्यधिक लाभ देने पर खर्च किए गए पैसे का इस्तेमाल लोगों के फायदे के लिए किया जाना चाहिए। घरेलू उपयोग के लिए मुफ्त बिजली के लिए सब्सिडी देना (300 यूनिट तक), 24 घंटे की आपूर्ति और शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल में निवेश करना ही पंजाब के लिए बेहतर बिजली मॉडल है।