उत्तराखंड में सिटी बसों को खत्म करने की योजना का शुरू हुआ विरोध

महानगर सिटी बसों के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने शनिवार को आरोप लगाया है कि अधिकारियों की मिलीभगत से सिटी बसों को समाप्त करने की योजना चलाई जा रही है। ताकि बाहर की ट्रांस कंपनी को फायदा पहुंचाया जाए। इस कंपनी के साथ 10 वर्षों का अनुबंध किया गया है। इसका फायदा केवल अधिकारियों को होगा। इसमें परिवहन विभाग की मिलीभगत है।

सूचना के अधिकार के तहत जुटाई गई जानकारी के हवाले से डंडरियाल ने कहा है कि परिवहन विभाग द्वारा महानगर में संचालित की जाने वाली एक इलेक्ट्रॉनिक बस को एक महीने में तीन लाख रुपये का नुकसान हो रहा है।  10 वर्ष के अनुबंध पर 30 बसों द्वारा इसी तरह की क्षति हुई तो यह क्षति सौ करोड़ रुपये पार हो जाएगी। इसके ठीक विपरीत सिटी बसों द्वारा परिचालन के माध्यम से ठीक कमाई की जा रही है और सिटी बसें घाटे में नहीं है।

विजयवर्धन डंडरियाल ने बताया है कि 5 इलेक्ट्रिक बसों द्वारा 2 महीने में 55825 किलोमीटर का सफर तय किया गया और स्मार्ट सिटी लिमिटेड से लेने हैं एवेरी ट्रांस कंपनी को  37 लाख 67हजार 649 रुपये। दो महीने का यात्री किराया 11 लाख 14 हजार 705 रुपये आया है और 2 महीने परिचालक के वेतन भत्ते समेत 30 लाख रुपए की क्षति हुई है। यह गणना यदि  30 बसों की 10 वर्षों के अनुबंध पर की जाए तो यह आंकड़ा 100 करोड़ रुपये पार हो जाता है।

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डंडरियाल ने कहा है कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड को अपनी परिधि का ही नहीं पता है। जो इलेक्ट्रिक बसें सिटी बस मार्गों पर चलाई जा रही हैं वह है स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के अनुमोदन पर चलाई जा रही हैं। यह पूरी कार्रवाई  सिटी बसों को समाप्त करने की योजना का अंग है। इससे विभाग को घाटा होगा। इसका विरोध किया जाना चाहिए।