जहां एक तरफ कोरोना महामारी ने त्राहिमाम मचा रखा है, वहीँ अपनी जान की परवाह किये बिना हमारे हेल्थ वर्कर्स दिन रात मरीजों की सेवा में लगे हुए है।लेकिन इसी बीच कुछ खबरें ऐसी भी आ रही है जिनसे इंसानियत शर्मशार होती नजर आ रही है…जी हां लगातार डॉक्टर्स पर हमलों की खबरों ने दिल दहला दिया है। प्रतापगढ़ के जिला अस्पताल में शुक्रवार को चौदह घंटे में चिकित्कों व कर्मियों पर दो बार दबंगों ने हमला किया। पहली घटना मरीज लेकर अस्पताल आए तीन-चार युवकों ने कहासुनी होने अंजाम दी। दूसरी रात को एक मरीज को मृत घोषित करने पर हुई। इस पर आक्रोशित कर्मियों ने अस्पताल की इमरजेंसी सेवा दो बार ठप कर दी।
खबरों के मुताबिक, सांस लेने में दिक्कत पर एक मरीज इमरजेंसी में गुरुवार शाम को भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को सुबह करीब छह बजे आक्सीजन लगाने के लिए कहासुनी हो गई। इसके बाद मरीज के साथ रहे तीन-चार युवक व उनके कुछ साथी आपे से बाहर हो गए। चिकित्सक, फार्मासिस्ट व वार्ड ब्वाय पर हमला बोल दिया। ड्रिप लगाने के स्टैंड आदि से मारपीट करने लगे। इससे वहां अफरातफरी मच गई। कर्मी भागने लगे। हमले से वार्ड ब्वाय जय प्रकाश यादव का सिर फट गया। शोर मचाने पर अन्य कर्मी, कुछ मरीजों के साथ रहे लोग दौड़े तो हमलावर भागने लगे। मौके से तीन को पकड़ा गया। पुलिस के आने पर उसे सौंप दिया गया। इधर हमले से आक्रोशित मेडिकल कर्मियों का गुस्सा फूट पड़ा। वह इमरजेंसी के गेट पर ताला लगाकर बाहर धरने पर बैठ गए। कोरोना काल में चिकित्सकों व कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने की जानकारी पाने पर प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे के अफसर परेशान हो गए। डीएम डॉ. नितिन बंसल के निर्देश पर सीडीओ अश्वनी पांडेय, एसडीएम सदर मोहन लाल गुप्ता, कोतवाल रवींद्र राय फोर्स लेकर दिन में करीब साढ़े दस बजे अस्पताल पहुंचे। सीएमएस डा. पीपी पांडेय की अगुवाई में वार्ता में अफसरों ने चिकित्सकों व कर्मियों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया। मारपीट करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही। इमरजेंसी में पुलिस की तैनाती की गई, तब जाकर करीब 11 बजे चिकित्सक हड़ताल को वापस लेने को राजी हुए। तब तक करीब पांच घंटे मरीज बेहाल रहे।
इसके बाद रात करीब पौने नौ बजे फिर बवाल हो गया। रानीगंज की एक महिला को गंभीर दशा में बोलेरो पर लादकर घर के लोग ले आए। मरीज को चेक करने के बाद चिकित्सकों ने उसे मृत बताया। इतना सुनते ही साथ आए लोग इलाज में देर करने का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे। चिकित्सक और कर्मचारियों को मारने पीटने लगे, जिससे वहां पर भगदड़ मच गई। इसके बाद वह लाश लेकर भाग निकले। कुछ देर बाद एडीएम शत्रोहन वैश्य, एएसपी सुरेंद्र द्विवेदी व कोतवाल मौके पर पहुंचे। कर्मियों को समझाकर पंद्रह मिनट बाद ही इमरजेंसी सेवा बहाल करा दी। इस बारे में अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी सुरेंद्र द्विवेदी का कहना है कि मारपीट करने के मामले में मौके पर जितेंद्र प्रताप सिंह व तुषार सिंह किशनपुर थाना कंधई को पकड़ा गया है। इन्हीं का मरीज भर्ती था। इन पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। अस्पताल में पुलिस की तैनाती की गई है। रात वाली घटना के आरोपितों की पहचान सीसीटीवी फुटेज के जरिए की जा रही है।
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जिला अस्पताल में बवाल के बावजूद पुलिस विभाग सुरक्षा उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हुआ है। शुक्रवार को सुबह ही भारी बवाल के बाद पुलिस की तैनाती इमरजेंसी में की गई थी। वह दोपहर बाद गायब हो गई। शाम को दो सिपाही घूमते हुए आए और फिर बाहर हवा खाते रहे। जब रात का बवाल हुआ तो वह डंडाधारी वह सिपाही भी वहां से खिसक लिया, जिससे हमलावर हमला करने के बाद लाश लेकर बड़े आराम से वहां से भाग निकले।