सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामजन्म भूमि विवाद पर फैसला देते समय सुन्नी वक्फ बोर्ड को 05 एकड़ जमीन दिए जाने के बाद यूपी सरकार ने बोर्ड को जमीन उपलब्ध करा दी है,लेकिन इसके साथ ही मस्जिद का नाम क्या हो इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। कोई कह रहा है कि नई मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद होना चाहिए तो कोई कह रहा है कि नई मस्जिद वैसे ही बननी चाहिए जैसा ढांचा बाबरी मस्जिद का था। अतः तीन गुम्बद वाली मस्जिद। वहीं सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी कुछ मुस्लिम धर्मगुरू और नेता यही राग अलाप रहे हैं कि भले ही बाबरी मस्जिद नेस्तानाबूत कर दी गई हो,लेकिन वह जगह कमायत तक मस्जिद ही रहेगी। इस तरह की भड़काऊ बयानबाजी सोशल मीडिया पर भी हो रही है। यहां तक की सोशल मीडिया पर रामलला के मंदिर निर्माण को कुछ ‘दहशतगर्द’ मोदी सरकार का हिन्दुत्व एजेंडा बताते हुए इसे उनका (मोदी सरकार) भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने का पहला कदम बता रहे हैं।
वाकयुद्ध में आल इंडिया मुस्लिम लाॅ(आईएमपीएलबी) भी कूदने से पीछे नहीं रहा। बाद में फजीहत होने पर जरूर वह अपने बयान से पीछे हट गया। दरअसल, राम मंदिर के भूमि पूजन से ठीक पहले का है,जब आईएमपीएलबी ने ट्वीट कर कहा था कि बाबरी मस्जिद थी और हमेशा के लिए एक मस्जिद रहेगी। बोर्ड ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘बाबरी मस्जिद थी और हमेशा एक मस्जिद रहेगी। हागिया सोफिया हमारे लिए एक बेहतरीन उदाहरण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण के आधार पर भूमि का पुनर्निर्धारण निर्णय इसे बदल नहीं सकता है। दिल टूटने की जरूरत नहीं है. स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है।’ हालांकि विवाद होने के बाद बोर्ड द्वारा ट्वीट को डिलीट कर दिया गया था। विवादित ट्वीट पर बोर्ड के सचिव व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने सफाई भी दी थी. उन्होंने कहा था कि ये ट्वीट महासचिव की मंजूरी के बिना किया गया था, इसीलिए इसे डिलीट कर दिया गया है। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं
इस सब से इत्तर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को सुझाव दिया है अयोध्या में बन रही मस्जिद का नाम अगर रखना है तो मोहम्मद साहब के नाम पर नाम रखा जाए और इसे ‘मस्जिद ए मोहम्मदी’ का नाम दिया जाए। मोहसिन रजा ने कहा कि इस देश में बाबर के नाम पर कोई भी चीज स्वीकार नहीं होगी। वह मस्जिद हो या कोई और क्योंकि बाबर ने कोई अच्छा काम नहीं किया। बाबर के नाम पर मुसलमानों के सभी फिरके भी एकमत नहीं होंगे और हम भी तो स्वीकार नहीं करेंगे।
मोहसिन रजा ने कहा, जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम राम पुरुषों में उत्तम हैं, उसी तरीके से पैगंबर मोहम्मद साहब मुसलमानों में महापुरुष हैं और उन्हें हिंदुओं में भी उतना ही सम्मान प्राप्त है. इसलिए अगर इस मस्जिद का नाम ही रखना है तो इसका नाम ’मस्जिद ए मोहम्मदी’ रखा जाए, यह मेरा सुझाव सुन्नी बोर्ड को है। मोहसिन रजा ने कहा, रही बात योगी जी के वहां के कार्यक्रम में शामिल होने की तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्हें मस्जिद बनाने की अनुमति मिली है तो वहां मस्जिद बनेगी और जब भी किसी अच्छे कॉलेज के लिए किसी को भी बुलाया जाएगा, चाहे मुझे बुलाया जाए या फिर बीजेपी में किसी भी बड़े पद पर बैठे हुए व्यक्ति को, तो सभी लोग जाएंगे. अच्छे काम के लिए हम लोग सभी जगह जाते हैं।
बहरहाल, इस सबके बीच सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने साफ किया है कि अयोध्या में दी गई जमीन पर बनने वाली मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद के नाम पर नहीं होगा। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रवक्ता के अनुसार मस्जिद निर्माण में शिलान्यास के कार्यक्रम की इस्लाम में इजाजत नहीं है। सिर्फ नींव खोद कर मस्जिद की शुरुआत होती है, लेकिन इस जमीन पर जब अस्पताल या फिर ट्रस्ट के भवन की नींव रखी जाएगी तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आमंत्रित किया जाएगा। ट्रस्ट के प्रवक्ता के मुताबिक जमीन पर शुरुआत के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आमंत्रित किया जाएगा।
गौरतलब हो, पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में यह चर्चा लगातार चल रही थी कि अयोध्या के पास रौनाही के धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद का नाम बाबर के नाम पर होगा, जिसे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने खारिज कर दिया और इसे अफवाह बताया। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाल ही में इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट का निर्माण किया है जो अयोध्या में मस्जिद और उसके साथ साथ अस्पताल, कम्युनिटी सेंटर और कम्युनिटी किचन बनाएगा. साथ ही वहां इस्लामिक मामलों पर एक रिसर्च सेंटर भी होगा.