भारत में ऐसी बहुत सी जगह है जिनके बारे में हमें पता ही नहीं है। ख़ूबसूरती के मामले में भारत दुनिया में किसी भी देश से कम नहीं है। ऐसे में ही मेघालय देश में एक ऐसा गांव है जो अपनी खूबसूरती व स्वच्छता से जाना जाता है। इस गांव का नाम ‘मॉलिंनॉन्ग’ है, जो शिलॉन्ग से करीब 90 किलीमीटर दक्षिण की तरफ बना हुआ है। बेहद साफ होने के कारण सन 2003 में इसे एशिया का सबसे स्वच्छ गांव के रूप में नवाजा गया था। इसकी सुंदरता को देखते हुए कोई भी इस पर जल्दी ही मोहित हो जाएगा। तो चलिए जानते हैं इस गांव के बारे में कुछ रोचक बातें…

भगवान का बगीचा
इस गांव की खूबसूरती को देखकर इसे ‘God’s Own Garden यानी भगवान का बगीचा’ कहा जाता है। ऐसे में यह गांव अपनी सुंदरता व स्वच्छता से दुनियाभर में फेमस है।

पेड़ों की जड़ों से बनाए गए हैं ब्रिज
इस गांव की खासियत है कि यहां पर पेड़ों की जड़ों से ब्रिज बने हुए है।

देखने में बेहद ही खूबसूरत होने के कारण किसी का भी मन जल्दी ही खुश हो जाएगा। इसके अलावा यहां पर ट्रेकिंग भी की जा सकती है। ऐसे में ये गांव का आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

प्लास्टिक का नहीं होता है इस्तेमाल
इस गांव की खूबसूरती का एक अहम कारण इनकी स्वच्छता है। यहां पर प्लास्टिक का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता है। यहां तक कि डस्टबीन भी बांस से तैयार किए गए है। इसके अलावा लोग बाजार जाने के लिए प्लास्टिक के बैग की जगह कपड़ों से बनी थैलों का इस्तेमाल करते हैं। बड़ों से लेकर बच्चे भी अपने गांव की साफ-सफाई का खास ख्याल रखते हैं। साथ ही लोग कचरे को फैलाने की जगह इसे पेड़ों की खाद बनाने के लिए गड्ढे में रखते हैं।

100% है साक्षरता दर
कहने को गांव होने पर भी यह शहर से कम नहीं हैं। इस गांव में शायद ही किसी को कोई अनपढ़ आदमी मिलेगा। ऐसे में यहां के सभी लोग पढ़े-लिखे हैं। इसके अलावा इस गांव की एक और खासियत है कि यहां पर महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की जाती है। ऐसे में घर की सबसे छोटी बेटी को पेरेंट्स की संपत्ति मिलती है। हम यूं कह सकते हैं कि लड़कियों को वारिस माना जाता है। साथ ही बच्चे को उसकी मां का नाम मिलता है। ऐसे में वे अपनी मां का सरनेम लगा सकते हैं।

घूमने की अन्य जगह
यह गांव बेहद खूबसूरत झरनों, पेड़ों, चारों तरफ हरियाली व रंग-बिरंगे फूलों से घिरा हुआ है। ऐसे में एक बार यहां पर आकर हर कोई इनकी खूबसूरती में खो जाता है। यहां पर सुंदर प्राकृतिक नजारों को पेश करता लिविंग रूट ब्रिज है। माना जाता है कि यह ब्रिज करीब 1000 साल पुराना है। इसके अलावा डॉकी नदी भी बेहद फेमस है। बात इस गांव में घूमने की करें तो यहां जाने के लिए अक्तूबर से अप्रैल तक का समय बेस्ट रहेगा।

बच्चों को मिलता है मां का सरनेम
ये गांव महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी पेश करता है। यहां पर बच्चों को मां का सरनेम मिलता है और पैतृक संपत्ति मां द्वारा घर की सबसे छोटी बेटी को दी जाती है।
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