महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार में दरार पड़ती नजर आ रही है। दरअसल, यहां शिवसेना और एनसीपी पर कांग्रेस को कमजोर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। यह आरोप मुंबई कांग्रेस के महासचिव विश्वबंधु राय ने लगाया है और इस बाबत उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने कहा है कि महाविकास अघाड़ी सरकार में कांग्रेस को नजरअंदाज किया जा रहा है।
सोनिया गांधी को पत्र लिखकर किया आगाह
मुंबई कांग्रेस के महासचिव ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में कहा कि महाराष्ट्र की एमवीए सरकार का एक साल पूरा हो गया है। इस दौरान कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार में सहयोगी के तौर पर बनी हुई है। शिवसेना और एनसीपी महाराष्ट्र में सरकार चलाने की भूमिका में नजर आ रहे हैं। पत्र में उन्होंने कहा कि एनसीपी दीमक की तरह कांग्रेस पार्टी को कमजोर कर रही है।
सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र में राय ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों को महाराष्ट्र सरकार में बड़ी संख्या में जमीनी स्तर पर संगठन का कोई काम नहीं मिल रहा है। आम जनता के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को मंत्रियों के विभाग का पता नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे सहयोगी रणनीति बनाकर हमारी पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं और अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं।
सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कांग्रेस महासचिव ने कहा कि हम इसे रोकने में विफल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी द्वारा राज्य की जनता से किए गए वादों पर कोई काम नहीं हो रहा है। पार्टी से पलायन रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
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कांग्रेस महासचिव ने सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र के माध्यम से सहयोगी दलों पर यह आरोप ऐसे वक्त पर लगाए हैं, जब बीते दिनों शिवसेना ने भी यूपीए के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए यूपीए की कमान शरद पवार के हाथों में सौंपने की वकालत की थी।
सामना के माध्यम से शिवसेना ने कहा कि जब तक यूपीए में सारे बीजेपी विरोधी शामिल नहीं होते, तब तक विपक्ष मोदी के सामने बेअसर ही रहेगा। इस संपादकीय के माध्यम से शिवसेना ने कहा कि प्रियंका गांधी को दिल्ली की सड़क पर हिरासत में लिया जाता है, राहुल गांधी का मजाक उड़ाया जाता है और महाराष्ट्र सरकार को काम करने नहीं दिया जा रहा। यह लोकतंत्र के खिलाफ है।
शिवसेना ने कहा कि दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन शुरू है। आंदोलन को लेकर सत्ता में बैठे लोगों की बेफिक्री दिख रही है। इस बेफिक्री का कारण है देश का कमजोर विपक्ष। केंद्र में मौजूदा विपक्ष बेजान हो चुका है। हालिया विपक्षियों की अवस्था बंजर गांव के मुखिया का पद संभालने जैसी है। इसीलिए महीनेभर से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान की सुध लेने वाला कोई नहीं। लिहाजा बंजर गांव की हालत सुधारनी होगी ही। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी या गृह मंत्री अमित शाह जिम्मेदार नहीं है। इसकी जिम्मेदारी विपक्ष की है।