ट्रेन जनरल डिब्बा दरवाजे

जनरल कोच में आखिर 3 दरवाज़े क्यों होते हैं? सफर से पहले जान लें रेलवे का बड़ा राज़

लखनऊ: भारतीय रेलवे लगातार यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए नई-नई पहल कर रहा है। तेज़ रफ़्तार ट्रेनों से लेकर अत्याधुनिक सुविधाओं तक, रेलवे हर दिन अपने नेटवर्क को और बेहतर बना रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रेन के जनरल डिब्बे — यानी अनारक्षित कोच — में हमेशा तीन गेट क्यों लगाए जाते हैं? अगर नहीं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

जनरल कोच आगे और पीछे ही क्यों लगाते हैं?

जनरल कोच में हमेशा सबसे ज्यादा भीड़ होती है। यदि इसे ट्रेन के बीच में लगाया जाए तो यात्रियों और सामान की आवाजाही में भारी दिक्कत आ सकती है।

  • बीच में होने पर लोगों को दूसरे कोच (जैसे स्लीपर) से होकर निकलना पड़ेगा, जिससे अव्यवस्था और परेशानी बढ़ेगी।
  • इसी वजह से जनरल कोच को ट्रेन के शुरू और आखिर में लगाकर यात्रियों के लिए सुविधा सुनिश्चित की जाती है।

जनरल डिब्बे में 3 गेट क्यों होते हैं? रेलवे का असली कारण

भारतीय रेलवे नियमों और सुरक्षा मानकों के अनुसार जनरल कोच में तीन दरवाजे होना आवश्यक है। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं:

भीड़ प्रबंधन

जनरल कोच में भीड़ सबसे ज्यादा होती है। 3 दरवाजे होने से:

  • यात्री आसानी से चढ़-उतर सकते हैं।
  • प्लेटफॉर्म पर भीड़ कम फैलती है।

वेंडर्स की आवाजाही में आसानी

खाद्य सामग्री और अन्य सेवाओं से जुड़े वेंडर्स को कोच के अंदर मूव करना होता है।
तीन गेट होने से यह प्रक्रिया आसान और सुचारू रहती है।

सुरक्षा और आपात स्थिति में मददगार

अगर दुर्घटना या आपातकाल में एक-दो दरवाजे बंद हो जाएं, तो तीसरा दरवाजा यात्रियों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  • रेलवे के नियम के अनुसार किसी भी कोच में कम से कम 3 निकास द्वार होना अनिवार्य है।

अनारक्षित कोच इसलिए खास हैं

  • इन कोचों में सीटें तय नहीं होतीं।
  • त्योहारों और छुट्टियों में इनमें अत्यधिक भीड़ रहती है।
  • इस वजह से डिजाइन को सुरक्षा और सुविधा दोनों के हिसाब से तैयार किया गया है।

तो याद रखिएगा — तीन गेट आपकी सुरक्षा, सुविधा और भीड़ नियंत्रण के लिए ही लगाए जाते हैं। इससे आपकी यात्रा थोड़ी आसान और सुरक्षित हो जाती है।