इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मातृत्व अवकाश को बंदिशों के दायरे में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि किसी महिला कर्मचारी को दो साल की अवधि के भीतर दो मातृत्व अवकाश का लाभ न देना वैधानिक नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा है कि मातृत्व लाभ अधिनियम में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है जिससे दो वर्ष के अंदर दो बार मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सके।
हाईकोर्ट ने इसी के साथ फिरोजाबाद बेसिक शिक्षा अधिकारी के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उन्होंने एक महिला को दो साल के भीतर मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया कि याची को दूसरे मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाए। ये भी स्पष्ट किया कि महिला को नियमानुसार वेतन और भत्तों का भुगतान भी अवकाश की अवधि में किया जाए।
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यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल बेंच ने दिया है। फिरोजाबाद के उच्च प्राथमिक विद्यालय नगला बालू में तैनात सहायक अध्यापिका सुनीता यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनीता यादव ने वर्ष 2020 में 180 दिनों का वैतनिक मातृत्व अवकाश लिया था। जिसके बाद याची ने दूसरे मातृत्व अवकाश के लिएमई 2022 में बेसिक शिक्षा अधिकारी फिरोजाबाद को आवेदन किया था। बीएसए ने याची के आवेदन को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि दो मातृत्व अवकाशों के मध्य दो साल का अंतराल जरूरी है। अवकाश निरस्त किये जाने के आदेश को सुनीता यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बीएसए के आदेश को रद्द करते हुए याची को 180 दिनों का वैतनिक मातृत्व अवकाश देने का आदेश दिया।