भारत में ‘दहेज प्रथा’ पर हमेशा बातें होती रहती हैं। कई जगहों पर इसका काफी विरोध भी किया जाता है। इसके बावजूद हमारे देश में यह काफी ‘फल-फूल’ रहा है। एक बार फिर यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ और लोग इस पर जमकर चटकारे ले रहे हैं। क्योंकि, एक पाठ्यक्रम में ‘दहेज की खूबियों’ को शामिल किया है, जिसके कारण सोशल मीडिया पर हंगाम मच गया है और लोग इसका विरोध कर रहे हैं। तो आइए, सबसे पहले जानते हैं कि मामला क्या है?
दरअसल, ‘भारतीय नर्सिंग परिषद’ के सिलेबस में एक किताब को शामिल किया गया है, जिसमें दहेज प्रथा के ‘गुणों और लाभों’ के बारे में बताया गया है। इस किताब के कवर और उसकी जानकारी के बारे में जानकर लोग काफी हैरान हैं। इस किताब में एक उपशीर्षक को लेकर सारा विवाद है। जिसका नाम है ‘दहेज की योग्यता’ जिसे टीके इंद्राणी द्वारा लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि फर्नीचर, रेफ्रिजरेटर, वाहनों जैसे उपकरण के साथ दहेज नया घर स्थापित करने में काफी सहायक है। इतना ही नहीं दहेज में माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने वाली लड़कियों को प्रथा का विरोध करने वालीं लड़कियों के रूप में भी बताया गया है। इसके अलावा लेखक का यह भी कहना है कि दहेज प्रथा का अप्रत्यक्ष लाभ भी है। इसके कारण माता-पिता ने लड़कियों को पढ़ाना शुरू कर दिया है, जिससे उन्हें कम दहेज देना पड़े। आखिरी में यह भी लिखा गया है कि ‘बदसूरत दिखने वाली लड़कियों’ की शादी में दहेज प्रथा मदद कर सकती है।
सिलेबस पर मचा बवाल
इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है। किताब का कवर पेज की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। जिसके बाद इस पूरे मामले पर बवाल मच गया है। क्योंकि, यह किताब उसी देश के सिलेबस में पढ़ाई जा रही है जहां यह गैरकानूनी है। क्योंकि, दहेज प्रथा के कारण रोजाना हमारे देश में महिलाओं को मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। इतना ही नहीं महिलाओं की हत्या तक कर दी जाती है। इस सिलेबस का विरोध करते हुए शिवसेना नेता और राज्य सभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से ऐसी किताबों को सिलेबस से हटाने का आग्रह किया और कहा कि ऐसे विषयों का होना ‘शर्म की बात है’। गौरतलब है कि भारत में दहेज प्रथा को लेकर 1961 में दहेज निषेध अधिनियम 1961 और भारतीय दंड संहिता, IPC की धारा 304B और 498A के तहत गैरकानूनी माना गया है। इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर माहौल काफी गर्म है और लोग इसकी जमकर आलोचना कर रहे हैं। तो आइए, देखते हैं लोगों का रिएक्शन।
लोगों का कहना है कि हमारे समाज में व्याप्त पितृसत्तात्मक मानसिकता को प्रदर्शित करने का यह अकेला मामला नहीं है। दहेज पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून होने के बावजूद यह कुप्रथा आज भी देश में फैली हुई है और काफी संख्या में लोग इसके शिकार हो रहे हैं।