उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटा ज्ञानवापी मस्जिद इन दिनों विवादों में छाया हुआ है, जहां हिंदू पक्ष ने मस्जिद के भीतर शिवलिंग मिलने का दावा किया है। इस विवाद के बीच अब पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि आक्रांताओं द्वारा विकृत किए गए हमारे हिंदू देवस्थानों को वापस प्राप्त करना हमारा शाश्वत अधिकार है। उन्होंने यह भी दावा किया कि आगरा स्थित ताजमहल में भी शिवालय ही था।
बंगाल के हावड़ा स्थित सलकिया में दीक्षा कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए पुरी के शंकराचार्य ने शनिवार को यहां बातचीत में ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण पर पूछे गए सवाल पर स्पष्ट कहा कि हमारे हिंदू देवस्थानों को विकृत करके व आतंकवाद को फैलाकर कुछ लोगों ने इसे अपने अधिकृत कर लिया। अब हमारा मौलिक स्वरूप मानवाधिकार की सीमा में वापस प्राप्त करने का हमें अधिकार है। शंकराचार्य ने कहा कि ज्ञानवापी में नींव को देखने से ही पता चलता है कि वहां उपर तक मंदिर के चिन्ह मौजूद हैं।
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उन्होंने कहा कि जैसा कि सभी जानते हैं कि हमारे देश में बहुत वर्षों तक किन तंत्रों ने शासन किया। इस दौरान आक्रांताओं द्वारा हमारे देवस्थानों को लांछित व विकृत किया गया। अब यह सबका दायित्व है कि हमारे उन देवस्थानों को वे हमें वापस सौंपे और हमें (हिंदूओं) उन स्थानों पर अपने प्रभुत्व का पूर्ण अधिकार प्राप्त हो। वहीं, इस प्रकरण पर विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि किस दल का शासन उत्तर प्रदेश में अधिक समय तक रहा और वह किसका अनुयायी था, इस पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि शासन तंत्र देश हित में काम कर रहा है और विपक्ष सिर्फ आंख मूंदकर उसका विरोध करता है तो यह राष्ट्रदोह है।