हीरासर हवाई अड्डा या राजकोट ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Greenfield International Airport) इस साल अगस्त से चालू होने जा रहा है। राजकोट के जिला मजिस्ट्रेट के अनुसार, इस प्रोजेक्ट से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narender Modi) के ‘हवाई चप्पल से हवाई जहाज’ (hawai chappal to hawai jahaz) का सपना साकार होता दिख रहा है।
औद्योगिक शहर राजकोट से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह हवाई अड्डा चार चरणों में 1,032 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया जा रहा है। इसमें 23,000 वर्ग मीटर के यात्री टर्मिनल के क्षेत्रफल के साथ कुल 14 पार्किंग स्टैंड होंगे।
राजकोट के जिला मजिस्ट्रेट अरुण महेश बाबू ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया कि निर्माण कार्य में काफी तेजी से चल रहा है, यह हवाईअड्डा इस साल अगस्त या सितंबर तक चालू हो जाना चाहिए। रनवे पर लगभग 85 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। ”
गौरतलब है कि बीते कुछ समय से देश में हवाई यात्रा करने वालों की संख्या काफी बढ़ गई है। हवाई चप्पल पहनने वाले लोग भी अब हवाई जहाज की यात्रा कर रहे हैं। बीते वर्ष नवंबर में 1.05 करोड़ लोगों ने हवाई जहाज में सफर किया, सालाना आधार पर यह संख्या 64 प्रतिशत अधिक है। जबकि अक्टूबर में यह संख्या करीब 90 लाख और सितंबर में 70 लाख थी। हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ने से सरकार के लिए कमाई का नया रास्ता खुल गया है। सरकार ने नेशनल मोनेटाइजेशन प्लान के तहत 25 एयरपोर्ट्स को शामिल किया है।
जानें सरकार का नया प्लान
आगामी तीन वर्षो में देश के 25 एयरपोर्ट निजी हाथों में चले जाएंगे। इन एयरपोर्ट्स का चयन वार्षिक ट्रैफ़िक और प्रस्तावित पूंजी खर्च योजना के आधार पर होगा। इन एयरपोर्ट्स में वाराणसी, भुवनेश्वर, इंदौर, रायपुर , देहरादून, चेन्नई, रांची, पटना आदि को शामिल किया गया है।
वित्त वर्ष 2022-23 में कालीकट, नागपुर, मदुरई, कोयम्बटूर, सूरत, जोधपुर, पटना और रांची एयरपोर्ट को बेचना का प्लान है। इसके बाद वित्त वर्ष 2023-24 में विजयवाड़ा, वडोदरा, तिरुपति, चेन्नई, भोपाल और हुबली एयरपोर्ट का नंबर आएगा। सबसे अंत में इम्फाल, उदयपुर, अगरतला, देहरादून और राजामुन्द्री एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपने की योजना है।
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आखिर ऐसा क्यों कर रही है सरकार
कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल 137 में से 133 एयरपोर्टस को भारी घाटा हुआ था। अधिकतर एयरपोर्टस बीते तीन वर्षो से लगातार नुकसान में है। हालांकि, सरकार के इस फैसले का असर जनता पर ही पड़ेगा, क्योंकि प्राइवेट कंपनियां बेहतर सुविधा देंगी, लेकिन उसके लिए अधिक शुल्क वसूलेगी। ऐसे में हवाई टिकट पर एयरपोर्ट चार्जेज का हिस्सा बढ़ जाएगा।