माफिया अतीक अहमद और अशरफ के शूटरों ने प्रयागराज जंक्शन के सामने होटल स्टे-इन को ठिकाना बनाते वक्त किसी को मीडिया कर्मी होने की सूचना नहीं दी थी। इनके पास कैमरा-माइक आईडी और पहचान पत्र भी नहीं थे। आते-जाते भी इनके पास कभी कैमरा या माइक नहीं देखा गया।
शक यही गहरा रहा है कि शूटरों के दो मददगारों ने ही वारदात से कुछ वक्त पहले ही इन्हें यह सब मुहैया कराया था। पुलिस अभिरक्षा में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को कैमरे के सामने गोलियों से छलनी करने वाले शूटर लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य को होटल स्टे-इन में ठहराने और माफिया भाइयों की रेकी कराने वाले मददगार कौन हैं? कितने हैं? इसका राज खुलना अभी बाकी है।
विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच से इतना तो साफ हुआ कि शूटरों को दो लोगों ने मदद पहुंचाई। इनमें से एक स्थानीय मददगार है, एक बाहरी। यही वह लोग हैं, जो अतीक-अशरफ हत्याकांड के मास्टरमाइंड से फोन पर बात करते थे। ऊपर से जो आदेश आता था, इन्हें बताया जाता था।
इसी कारण तीनों शूटरों ने कोई मोबाइल फोन भी इस्तेमाल नहीं किया था। इनके होटल से जो फोन मिले भी, वह बगैर सिम के हैं। एसआईटी इन मददगारों के चेहरे अभी तक बेनकाब नहीं कर पाई है। 13 अप्रैल की नाइट शिफ्ट में रहे होटल स्टे-इन के प्रबंधक अखिलेश सिंह ने शूटरों के बारे में पुलिस को अहम जानकारियां दी हैं।
उन्होंने बताया है कि हत्या के समय अतीक पर विदेशी पिस्टल से गोलियों की बौछार करने वाले लवलेश तिवारी के गले में एनसीआर न्यूज का पहचान पत्र लटका हुआ था। उसके सहयोगी शूटरों सनी और अरुण के भी गले में पहचान पत्र की डोरी लटक रही थी। उनके पास इस न्यूज चैनल की माइक आईडी और कैमरा भी था, जो घटना स्थल पर टूट कर गिरा पाया गया।
हालांकि, घटना के पहले तीन दिन तक होटल में ठहरने के दौरान इनके पास न कैमरा था, न माइक आईडी। होटल में आते-जाते किसी तरह का पहचान पत्र भी लटकाकर नहीं निकले। होटल प्रबंधक का कहना है कि बुकिंग के समय उन तीनों के बीच सिर्फ एक छोटा-सा पिट्ठू बैग था। हत्या के समय के वायरल वीडियो में अरुण मौर्य की पीठ पर भी एक छोटा बैग नजर आता है।
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पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शक यही है कि हत्या से कुछ समय पहले होटल स्टे-इन और कॉल्विन अस्पताल गेट के बीच ही किसी ने उन तीनों को पहचान पत्र, कैमरा और माइक आईडी उपलब्ध कराई थी। ऐसा करने वाले वही मददगार हो सकते हैं, जिन्होंने अतीक-अशरफ की रेकी कराई थी। शूटरों की पांच दिन की रिमांड खत्म होने के बाद भी इनके जवाब नहीं आ सके।
अतीक के दफ्तर में खून से सना चाकू, धब्बे मिलने से सनसनी
उधर, माफिया अतीक अहमद के चकिया स्थित कार्यालय में सोमवार को खून से सना चाकू और चौतरफा खून बिखरा मिलने से सनसनी फैल गई। खंडहर हो चुके कार्यालय के भूतल से दूसरी मंजिल स्थित छत तक जगह-जगह खून के छींटे मिले। एक कुर्ती और टूटी हुई चूड़ियों के टुकड़े भी मिले। फोरेंसिक टीम ने नमूने एकत्र किए। फिलहाल देर रात तक खून के छींटों और चाकू को लेकर रहस्य बना रहा।
अतीक का कार्यालय मौजूदा समय में खंडहर में तब्दील हो चुका है। सोमवार सुबह कुछ मीडियाकर्मी कवरेज के लिए वहां गए। इसी दौरान पिछले गेट से इंट्री करने पर खून से सना चाकू और खून के धब्बे दिखाई दिए। सूचना पर खुल्दाबाद थाने की फोर्स पहुंची तो आगे बढ़ने पर जो दिखा, उससे पुलिसकर्मी भी स्तब्ध रह गए। मौके पर जगह-जगह खून के धब्बे मिले। भूतल के बाद आगे बढ़ने पर सीढि़यों और फिर पहली मंजिल स्थित कमरे में भी खून की बूंदे पड़ी मिलीं। इसके बाद छत पर भी खून के धब्बे दिखाई दिए। इसकी खबर जंगल में आग की तरह फैली और फिर कार्यालय के बाहर जमावड़ा लग गया। इस पर फोरेंसिक टीम को बुलवाया गया।
कुल नौ स्थानों पर मिले खून के धब्बे
फोरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर सबसे पहले उन स्थानों की फोटोग्राफी की, जहां खून के धब्बे मिले। इसके बाद एक-एक कर नमूने एकत्र किए। चाकू के साथ ही सीढ़ियां की रेलिंग व दरवाजों के हैंडल से फिंगर प्रिंट के नमूने भी लिए। सूत्रों के मुताबिक, फोरेंसिक टीम को कुल नौ स्थानों पर खून के धब्बे मिले। नमूने एकत्र करने के बाद टीम वापस चली गई। मौके पर डीसीपी नगर दीपक भूकर, एसीपी कोतवाली सत्येंद्र प्रसाद तिवारी भी पहुंचे। दोनों अफसरों ने बताया कि फोरेंसिक टीम ने नमूने एकत्र किए हैं। जांच रिपाेर्ट आने के बाद ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकेगा।
हत्या से लेकर खुदकुशी के प्रयास तक की आशंकाएं
कार्यालय से खून से सना चाकू व धब्बे मिलने पर हत्या के प्रयास से लेकर खुदकुशी तक की आशंका जताई जा रही है। पहली आशंका है कि यहां चाकू से किसी की जान लेने की कोशिश की गई हो। जान बचाने के लिए वह भागा हो और इसी में खून की बूंदें भूतल से लेकर छत तक गिरी हों। दूसरी आशंका खुदकुशी के प्रयास की है। हो सकता है कि किसी ने यहां आकर चाकू से खुद पर वारकर खुदकुशी का प्रयास किया हो। इसी दौरान कोई वहां पहुंच गया हो, जिसे देखकर उसने भागने की कोशिश की हो।