बारबाडोस। भारतीय क्रिकेट का कोई भी प्रशंसक शनिवार को बारबडोस में टी20 विश्व कप फाइनल के बाद कप्तान रोहित शर्मा और पूर्व कप्तान विराट कोहली को आंखों की आंसुओं को छुपाते हुए नहीं देखना चाहेगा जैसा की सात महीने और 10 दिन पहले एकदिवसीय विश्व कप के फाइनल के बाद हुआ था।प्रशंसक निश्चित रूप से चाहेंगे की दोनों महान खिलाड़ियों को खेल के सबसे छोटे प्रारूप में यादगार विदाई मिले। इस बात की काफी संभावना है कि दोनों के लिए भारतीय टीम की जर्सी में यह आखिरी टी20 मैच हो।
भारतीय क्रिकेट की समझ रखने वाले लोग मानते है कि बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) के अधिकारी और राष्ट्रीय चयनकर्ता रोहित और कोहली और रविंद्र जडेजा की तिकड़ी इस प्रारूप में और मौके नहीं देगी।ऐसे में अगले महीने की जिम्बाब्वे श्रृंखला निश्चित रूप से भारत में 2026 टी20 विश्व कप को ध्यान में रखते हुए एक नई सुबह की शुरुआत करेगी।
किसी भी वैश्विक ट्रॉफी की तैयारी के लिए कोर टीम को कम से कम दो साल पहले अंतिम रूप दिया जाना चाहिए और 2026 में जब भारत टी20 विश्व कप की मेजबानी करेगा तब 39 साल की उम्र में रोहित, 38 साल की उम्र में कोहली और यहां तक कि जडेजा के इस प्रारूप के मुताबिक फिट रहने की संभावना काफी कम है।
फाइनल मैच से पहले क्रिकेट जगत में संन्यास की कोई बात नहीं कर रहा है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि अगर भारत शनिवार को बारबाडोस में दक्षिण अफ्रीका को हरा दिया तो कप्तान रोहित और कोहली के पास इस प्रारूप में हासिल करने के लिए कुछ नहीं बचेगा।
यह भी हो सकता है कि संन्यास की घोषणा तुरंत ना हो और ये खिलाड़ी आईपीएल का हिस्सा बने रहेंगे। रोहित और कोहली अब भी महेंद्र सिंह धोनी और शाहरुख खान (अभिनेता और कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिक) के अलावा आईपीएल के दो सबसे बड़े ब्रांड की तरह हैं।कोहली इस खिताब के साथ उन खिलाड़ियों की सूची में शामिल होना चाहेंगे जिनके नाम के आगे आईसीसी के सीमित ओवरों के तीनों खिताब के विजेता का नाम होगा। वह 2011 में वनडे और 2013 में चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय टीमों के अहम सदस्य रहे हैं।
महेला जयवर्धने और कुमार संगकारा ने 2014 टी20 विश्व कप फाइनल में भारत को हराने के तुरंत बाद खेल के सबसे छोटे प्रारूप को अलविदा कहने का फैसला किया था। अभी कोई नहीं जानता की भारत के दोनों महान खिलाड़ी भी कुछ ऐसा ही करेंगे या नहीं।टी20 अंतरराष्ट्रीय में कोहली और रोहित के नाम 8334, छह शतक और 69 अर्धशतक के अलावा 119 कैच भी है। दोनों खिलाड़ी खिताब के हकदार भी है।
दोनों ने विश्व कप विजेता रहे है लेकिन वे जीत (महेंद्र सिंह) धोनी, सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह के नाम रही थी। यह टी20 विश्व कप ट्रॉफी सही मायनों में उन्हीं (रोहित और कोहली) की होगी।भारतीय टीम अगर बीते नवंबर में वनडे विश्व कप जीत जाती तो शायद रोहित टी20 विश्व कप में खेलने के लिए इतने बेताब और सब कुछ झोंकने को तैयार नहीं होते।
जहां तक सफेद गेंद के प्रारूप में वैश्विक जीत का सवाल है, वह किसी तरह का यादगार समापन चाहते हैं। टी20 विश्व कप की जीत से उन्हें वह मिल सकता है।रोहित टीम में उसी तरह की लोकप्रियता रखते हैं जैसा की धोनी के साथ था। टीम के खिलाड़ियों के साथ उनका जुड़ाव और संवाद बिलकुल नैसर्गिक है।
धोनी जूनियर खिलाड़ियों के लिए ‘माही भाई’ थे तो वही कोहली ने मैदान पर अपने प्रदर्शन से लोकप्रियता हासिल की थी। लेकिन रोहित को उनके समकक्ष के साथ जूनियर खिलाड़ी भी खूब पसंद करते है। वह साथी खिलाड़ियों के साथ बेबाक संवाद करते है और उन्हें टीम या अंतिम एकादश में चयन नहीं होने पर उसका कारण भी बताते हैं।
रविचंद्रन अश्विन का गला यह बताते हुए रुंध गया कि टेस्ट मैच के बीच में जब उनकी मां की तबीयत खराब हुई थी तब बाद कप्तान रोहित ने टीम के एक फिजियो को उनके साथ चेन्नई जाने के लिए कहा था। अश्विन उस मैच में टीम के मुख्य स्पिनर थे।
रोहित और कोहली के साथ सबसे सकारात्मक बात यह है कि दोनों के पास साबित करने के लिए कुछ नहीं है। अगर शनिवार वास्तव में यह उनका आखिरी टी20 अंतरराष्ट्रीय साबित हुआ तो कौशल के साथ साथ भावनात्मक रूप से भी उनकी कमी को पूरा करना मुश्किल होगा।