आम चुनाव में एक उम्मीदवार को एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है। इस मुद्दे पर दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, किसी प्रत्याशी को एक से ज्यादा सीटों पर लड़ने की इजाजत विधायी नीति से जुड़ा मुद्दा है। इसलिए यह संसद का फैसला होगा कि इस राजनीतिक लोकतंत्र में यह विकल्प लोगों को मिलना चाहिए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस नियम को खत्म करने से इनकार कर दिया, जिसके तहत उम्मीदवार एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकते हैं। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, यह एक नीतिगत मामला और राजनीतिक लोकतंत्र का मुद्दा है। बेंच में शामिल जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला ने जोर देकर कहा, इसका संसद को फैसला करना है। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में आम चुनाव में एक उम्मीदवार को एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से लड़ने से रोकने की मांग की गई थी।
अपनी अखिल भारतीय छवि दिखाना चाहता है नेता
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण से कहा कि, एक राष्ट्रीय पार्टी का नेता भी अपनी अखिल भारतीय छवि दिखाना चाहता है और यह दिखाना चाहता है कि मैं पश्चिम, पूर्व, उत्तर और दक्षिण भारत से खड़ा हो सकता हूं।
इसमें कुछ भी गलत नहीं है – सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है और ऐतिहासिक शख्सियतें हैं, जिनकी उस तरह की लोकप्रियता थी। पीठ ने कहा कि अगर संसद संशोधन करना चाहती है, तो वह कर सकती है, और अदालत ऐसा नहीं करेगी।
संसद पर निर्भर करता है यह फैसला
वकील ने तर्क दिया कि, यदि उम्मीदवार दो निर्वाचन क्षेत्रों से खड़े हैं तो उन्हें अधिक जमा करने के लिए कहा जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि, उम्मीदवार कई कारणों से अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं और क्या यह लोकतंत्र को आगे बढ़ाएगा यह संसद पर निर्भर है।
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विधायी नीति का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि, एक उम्मीदवार को एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति देना विधायी नीति का मामला है।