संसद में जारी मानसून सत्र के दौरान विपक्ष दलों द्वारा किये जा रहे हंगामे की मुख्य वजह पेगासस जासूसी मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई हुई। इस सुनवाई के बाद शीर्षतम अदालत ने याचिकाकर्ताओं को सबूत पेश करने का आदेश सुनाया है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अगस्त की तारीख तय की है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से मांगा सबूत
चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी याचिकाकर्ताओं से अपनी याचिका की कॉपी केंद्र सरकार को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
गुरूवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने कपिल सिब्बल सहित याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अगर आरोपी सही हैं तो यह मामला बेहद गंभीर है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि बिना केंद्र सरकार का पक्ष सुने नोटिस जारी नहीं करेंगे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि 2019 में इस तरह की बात सामने आई थी कि जासूसी की जा रही है। आज दो साल बाद याचिका क्यों दायर की गई है। तब सिब्बल ने कहा कि तब यह नहीं पता था कि इस जासूसी का दायरा कितना बड़ा है। सिब्बल ने कहा कि आज ही सुबह पता चला है कि सुप्रीम कोर्ट के एक रजिस्ट्रार की भी जासूसी हो रही थी।
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सुप्रीम कोर्ट में पेगासस की जांच की मांग करते हुए अब तक पांच याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें वकील मनोहर लाल शर्मा, सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास, वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार, परंजॉय ठाकुरता समेत पांच पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड की याचिका शामिल है।