रूस और यूक्रेन के बीच जंग को 40 से ज्यादा दिन हो गए हैं. यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि रूसी सेना ने कीव के पास बूचा शहर में सामूहिक तौर पर कत्लेआम मचाया है. उनका आरोप है कि यूक्रेनी सेना ने बूचा में कई निर्दोष लोगों की जान ली है. बूचा की इस घटना पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में बयान दिया.
सदन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि युद्ध से विवाद का हल नहीं निकल सकता. विवाद का हल बातचीत एवं कूटनीति से होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत ने बूचा नरसंहार की कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने कहा कि कई सांसदों ने बूचा में घटना को उठाया. हम रिपोर्टों से बहुत व्यथित हैं. हम वहां हुई हत्याओं की कड़ी निंदा करते हैं. यह एक अत्यंत गंभीर मामला है, हम स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन करते हैं.
विदेश मंत्री ने कहा कि हम संघर्ष(रूस-यूक्रेन विवाद) के खिलाफ हैं. हमारा मानना है कि खून बहाकर और मासूमों की जान की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है. संवाद और कूटनीति किसी भी विवाद का सही समाधान है.
विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा मानना है कि खून एवं रक्तपात और निर्दोष लोगों के मारने से किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता. आज के समय में किसी भी विवाद का हल निकालने का सही तरीका बातचीत एवं कूटनीति है.
ऑपरेशन गंगा पर क्या बोले विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने ऑपरेशन गंगा पर भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि 20,000 नागरिकों को निकाले जाने के हमारे पैमाने पर किसी को भी खाली नहीं कराया गया. जिन देशों से मैंने बात की, मैं एक विदेश मंत्री की तरह बात कर रहा था, 90 विमानों की वापसी सुनकर मैं हैरान था. हम दूसरों को प्रेरणा दे रहे हैं. अगर हमारी एडवाइजरी अप्रभावी थी, तो संघर्ष से पहले 4000 नागरिक क्यों चले गए. हम रोज कोई एडवाइजरी जारी नहीं करते हैं. अगर हम कहते हैं कि नागरिक वापस लौटते हैं तो लोग इसे गंभीरता से लेते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि वे नहीं गए क्योंकि वे छात्र हैं हम सब उस उम्र के हैं. छात्र अपने मित्र से अपने विश्वविद्यालय से बात करते हैं और छात्र सलाहकार टीवी देखते हैं. उन्हें लगा कि अगर वे यूक्रेन छोड़ देंगे तो उनकी शिक्षा प्रभावित होगी. यह कहना कि सभी को हटा दिया गया है, छात्रों की मानसिकता की समझ की कमी को दर्शाता है.