राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार में भाजपा की स्थिति पर निशाना साधा। प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा का बिहार में है ही क्या, वे लोग तो जैसे तालाब में मछली ढूंढते हैं, वैसे नेता खोज रहे हैं ताकि उसके चेहरे पर चुनाव लड़ सकें।
प्रशांत किशोर ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करने के दौरान भाजपा को घेरते हुए कहा कि बिहार में भाजपा का क्या है। वे लोग अभी तालाब में मछली पकड़ने की तरह नेता खोज रहे हैं, जिसके चेहरे पर पार्टी को वोट मिल सकें। जिसके चेहरे पर पार्टी चुनाव लड़ सके।
प्रशांत किशोर ने बिहार में भाजपा नेताओं को घेरते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर जो वोट हैं, वो तो हैं ही। इसके इतर राज्य में भाजपा का ऐसा कौन सा चेहरा है, जिसके नाम पर उन लोगों को पांच वोट भी मिल सकते हैं। पीके ने पूछा कि बताइए, बिहार के किस भाजपा नेता के नाम पर पांच वोट भी मिल सकते हैं?
पांच सांसद ला पाए सिर्फ 495 वोट
प्रशांत किशोर ने बिना नाम लिए ही भाजपा के पूर्व अध्यक्ष पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि इससे पहले बिहार में भाजपा के जो अध्यक्ष थे, वे जब दूसरे दल से लड़े तो उनको सिर्फ छह हजार वोट मिले। अभी हाल ही में जब विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) के चुनाव हुए। जिन सीटों पर चुनाव थे, वहां भाजपा के पांच सांसद हैं और पांचों ने अपना पूरा जोर लगा दिया, तब जाकर 495 वोट मिल पाए।
‘पीएम मोदी के नाम पर मिलते हैं वोट’
प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा वाले पीएम मोदी के चेहरे पर, हिंदुत्व व राम मंदिर का नाम लेकर और हिंदू-मुस्लिम कर के जो वोट ले लेते हैं। पीके बोले कि ऐसे समझिए बिहार में लोग पार्टियों के नाम पर वोट नहीं देते हैं। लोग लालू के डर से भाजपा को और भाजपा के डर से लालू को वोट करते हैं।
‘…अब बेटा करेगा भाजपा का उद्धार’
पीके ने बिहार में भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी का नाम लिए बगैर ही उन पर तंज कसा। कहा कि भाजपा की कमान बिहार में ऐसे व्यक्ति के पास है, जिसके बाबूजी पहले लालू प्रसाद यादव के मंत्री थे। फिर नीतीश कुमार के मंत्री बने और मांझी के मंत्री बने। अब उनका बेटा भाजपा का उद्धार करने निकला है।
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उन्होंने कहा कि पिछले 30 साल में बिहार में जितने लोग विधायक और सांसद बने हैं, वो कुल 12 परिवार से ही हैं। यहां जिस दल या जिस नेता की हवा होती है, सब उसी के संग हो लेते हैं।
भाजपा को भी वही लोग मिले हैं, जिनके बाप-दादा पहले राज्य करते रहे हैं। भाजपा के पास भी कोई नया चेहरा नहीं है, जिस पर वह दांव लगा सके।