प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 जुलाई गुरुवार को दिल्ली से फ्रांस की यात्रा पर निकलते हुए चीन के खिलाफ चेतावनी दी और रूस के प्रति सख्त रुख जताया। एक फ्रांसीसी समाचार पत्र के साथ इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमाम सवालों के जवाब दिए।
जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी से पूछा गया कि चीन अपनी रक्षा क्षमताओं को और अधिक बढ़ावा देने के लिए अधिक मात्रा में पैसे खर्च कर रहा है तो क्या इससे क्षेत्र की सुरक्षा को खतरा हो सकता है? पीएम मोदी ने अपने जवाब कहा, “हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे हित व्यापक हैं। इससे हमारा जुड़ाव बहुत अच्छा और गहरा है। हम चाहते हैं कि इस क्षेत्र में सभी के लिए सख्त सुरक्षा और विकास होना चाहिए। हालांकि, हम जिस भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं, उसके लिए शांति आवश्यक है। उन्होंने भारत की बातचीत और कूटनीति के माध्यम से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान की बात कही और सभी देशों की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
जब पूछा गया कि भारत और कई अन्य देश चीन के आक्रामक व्यवहार से जूझ रहे हैं और फ्रांस से उम्मीद क्या है, तो पीएम मोदी ने कहा, “भारत और फ्रांस के बीच एक व्यापक आधार और साझेदारी है, जिसमें राजनीतिक, रक्षा, सुरक्षा, आर्थिक, मानव-केंद्रित विकास और स्थिरता सहयोग शामिल है।” उन्होंने कहा कि समान दृष्टिकोण और मूल्यों वाले देशों के मिलकर काम करने से वे किसी भी चुनौती से निपट सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि भारत और फ्रांस की साझेदारी इंडो पैसिफिक क्षेत्र सहित किसी देश के खिलाफ नहीं है और उनका लक्ष्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता को आगे बढ़ाना है।
जब पूछा गया कि भारत क्या रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपना रुख कड़ा करने जा रहा है, तो पीएम मोदी ने कहा, “मैंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बातचीत की है और हमारा उद्देश्य उन सभी वास्तविक प्रयासों का समर्थन करना है, जो इस संघर्ष को समाप्त करने में मदद सबकी कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि सभी देशों का दायित्व है कि वे दूसरे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करें।
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