प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दो दिवसीय फ्रांस यात्रा के दौरान वैश्विक दक्षिण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक दक्षिण के अधिकारों को लंबे समय से नकारा गया है और इसके परिणामस्वरूप वैश्विक दक्षिण के देशों में पीड़ा की भावना है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत अब दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश है और उसे अपना उचित स्थान पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता पर भारत की स्थायी सदस्यता की मांग की और कहा कि विश्वासनीयता का मुद्दा ही नहीं है, बल्कि वैश्विक दक्षिण की आवाज को भी महत्व दिया जाना चाहिए।
पीएम ने बताया भारत को “विश्वास्पात्र”
उन्होंने वैश्विक दक्षिण के लिए भारत को “विश्वास्पात्र” बताया और कहा कि दुनिया को विश्व युद्ध के बाद बनाई गई बहुराष्ट्रीय संगठनों के बारे में ईमानदारी से चर्चा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव आया है और नई शक्तियों का उदय हुआ है जिससे वैश्विक संतुलन में परिवर्तन आया है। वह भारत को नए टेक्नोलॉजी और नवाचार में विश्वस्तरीय नेता बनाने की बात कहते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत वैश्विक उत्तर के साथ अपने संबंध बना सकता है और वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूत कर सकता है।
वैश्विक दक्षिण के लिए भारत को महत्वपूर्ण कंधे के रूप में देखा है
पीएम मोदी ने कहा, वैश्विक दक्षिण के लिए भारत को महत्वपूर्ण कंधे के रूप में देखा है जो उसे ऊंची छलांग लगाने में मदद कर सकता है। इस कंधे को एक पुल के रूप में मजबूत करने की जरूरत है ताकि वैश्विक दक्षिण और उत्तर के बीच संबंध मजबूत हो सकें और वैश्विक दक्षिण खुद मजबूत हो सके। उन्होंने जी-20 अध्यक्षता के दौरान वैश्विक दक्षिण की आवाज को महत्व दिया और वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं और हितों को लाने का प्रयास किया है। उन्होंने अफ्रीकी संघ को जी-20 का सदस्य बनाने की प्रस्तावना की है और वैश्विक दक्षिण की उपस्थिति बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं।
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