AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है। इस हंगामे की वजह उनका वह ट्वीट है, जिसके माध्यम से उन्होंने फेसबुक पर हमला बोला है। दरअसल, ओवैसी ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की खबर को री-ट्वीट करते हुए लिखा कि फेसबुक बीजेपी को खुश रखने के लिए अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत और हिंसा को बढ़ावा देता था।
ओवैसी ने अपने ट्वीट में लिखी यब बात
अपने ट्वीट में ओवैसी ने लिखा है कि बजरंग दल और 2 अन्य समूहों को फेसबुक पर केवल इसलिए प्रतिबंधित नहीं किया गया था, क्योंकि वह (फेसबुक) बीजेपी नेताओं को नाराज नहीं करना चाहता था। फेसबुक ने यह भी आशंका जताई थी कि उसके कर्मचारियों और कार्यालयों पर हमला किया जा सकता था। बीजेपी को खुश रखने की लागत यह थी कि एफबी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत और हिंसा को बढ़ाता था।
अपने अगले ट्वीट में ओवैसी ने कहा कि फेसबुक की निष्क्रियता ने कई लोगों को जोखिम में डाल दिया है। उसे भारतीयों की सुरक्षा और उसके निवेश/कर्मचारियों की सुरक्षा के बीच चयन करने के लिए मजबूर किया गया था। क्या सोशल मीडिया कॉरपोरेशनों को नियंत्रण में रखने के लिए “फ्रिंज” हिंसा का डर और सरकार की नाराजगी का इस्तेमाल किया गया है? क्या यही व्यापार करने में आसानी (इज ऑफ डूइंग बिजनेस) है?
आपको बता दें कि इसके पहले ओवैसी ने ट्वीट कर राजस्थान की भारतीय ट्रायबल पार्टी (बीटीपी) को साथ मिलकर राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ने का न्यौता दिया था।
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ओवैसी ने बीटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष छोटूभाई वासवा के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा कि “वसावाजी कांग्रेस आपको और मुझको सुबह-शाम विपक्षी एकता का पाठ पढ़ाएगी। लेकिन खुद जनेऊधारी एकता से ऊपर नहीं उठेगी। ये दोनों एक हैं। आप कब तक इनके सहारे चलोगे ? क्या आपकी स्वतंत्र सियासी ताकत किसी किंगमेकर होने से कम है ? उम्मीद है कि आप जल्द ही एक सही फैसला लेंगे। हिस्सेदारी के इस संघर्ष में हम आपके साथ हैं”।