यूक्रेन संकट में लगातार अपने तटस्थ रूख पर कायम रहने वाले भारत पर अमेरिका लगातार आक्रामक नजर आया है और अमेरिकी अधिकारियों ने लगातार भारत पर दवाब बनाने की कोशिश की है। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी भारत की आलोचना करने की कोशिश की, लेकिन अब अमेरिका के सुर बदलने लगे हैं और बाइडेन भारत को अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी बता रहे हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है, कि आखिर बाइडेन के सुर क्यों बदल गये हैं।
बाइडेन के बदले सुर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि, राष्ट्रपति जो बाइडेन का मानना है कि अमेरिका-भारत साझेदारी दुनिया में अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता है। अगले हफ्ते होने वाले बाइडेन प्रशासन के तहत भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता के बारे में बोलते हुए, व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने कहा कि, राष्ट्रपति को उम्मीद है कि वार्ता भारत के साथ अमेरिका के काम और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा लक्ष्यों को आगे बढ़ाना जारी रखेगी। व्हाइट हाउस प्रवक्ता ने कहा कि, “राष्ट्रपति बाइडेन का मानना है कि भारत के साथ हमारी साझेदारी दुनिया में हमारे सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है। जैसा कि आप जानते हैं, उन्होंने मार्च में प्रधानमंत्री मोदी और अन्य क्वाड नेताओं से वर्चुअल मुलाकात की थी। उन्हें उम्मीद है कि इस 2+2 पर , सचिव ब्लिंकन और सचिव ऑस्टिन भारत के साथ हमारे काम और हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया भर में हमारे साझा लक्ष्यों को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे’।
राजनाथ सिंह, जयशंकर जाएंगे अमेरिका आपको बता दें कि, अमेरिका और भारत के बीच होने वाले 2+2 बैठक को लेकर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिका का दौरा करेंगे और 11 अप्रैल को पेंटागन में एक सम्मानित सम्मान समारोह में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का स्वागत किया जाएगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बैठक को लेकर कहा कि, “वार्ता दोनों पक्षों को रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करने और आपसी संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक दृष्टि प्रदान करने के उद्देश्य से विदेश नीति, रक्षा और सुरक्षा से संबंधित भारत-अमेरिका द्विपक्षीय एजेंडे में क्रॉस-कटिंग मुद्दों की व्यापक समीक्षा करने में सक्षम बनाएगी।” बयान में कहा गया है कि, “2+2 वार्ता महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक विकास के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करेगी और हम आम हित और चिंता के मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर कैसे काम कर सकते हैं, इसपर चर्चा की जाएगी’।
बैठक को लेकर अमेरिका उत्साहित अमेरिकी विदेश विभाग ने एक मीडिया नोट में सूचित किया है, कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी जे ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन रविवार को वाशिंगटन डीसी में अपने भारतीय समकक्षों का स्वागत करेंगे। अमेरिकि विदेश विभाग ने कहा कि, ‘2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता हमारे साझा उद्देश्यों को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसमें दोनों देशों के ‘लोगों से लोगों के बीच’ संबंधों और शिक्षा सहयोग को बढ़ाना, महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी के लिए विविध, लचीला आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करना शामिल है। इसके साथ ही, हमारी जलवायु परिवर्तन को लेकर हमारी कार्रवाई और सार्वजनिक स्वास्थ्य सहयोग को बढ़ाना, और दोनों देशों में कामकाजी परिवारों के लिए समृद्धि बढ़ाने के लिए एक व्यापार और निवेश साझेदारी विकसित करना इस बैठक के मुख्य उद्येश्य होंगे।
काफी महत्वपूर्ण है 2+2 बैठक आपको बता दें कि, भारत और अमेरिका के बीच होने वाली 2+2 बैठक काफी महत्वपूर्ण है और अमेरिका ने इस बात को स्वीकार भी किया है और कहा है कि, इस बैठक से अमेरिका और भारत के बीच बढ़ती प्रमुख रक्षा साझेदारी को उजागर करने का एक मौका मिलेगा। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंध सामान्य मूल्यों और लचीला लोकतांत्रिक संस्थानों की नींव पर बने हैं, और एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का निर्माण करना हमारा उद्येश्य है। खासकर, हमारी साझेदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हित के लिए है, जो इस क्षेत्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करते हैं, मानवाधिकारों को बनाए रखते हैं और क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि का विस्तार करते हैं।”
दलीप सिंह ने नहीं दी थी धमकी वहीं, अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह के भारत दौरे को लेकर उठे विवाद को लेकर भी अमेरिका की तरफ से सफाई दी है। दलीप सिंह ने भारत दौरे के दौरान कहा था, कि अगर चीन एलएसी पर हमला करता है, तो फिर भारत को बचाने रूस नहीं आएगा। जिसको लेकर भारत की तरफ से कड़ा ऐतराज जताया था और भारत के पूर्व राजनयिकों ने भी अमेरिकी राजनयिक दलीप सिंह को जमकर फटकार लगाई थी। वहीं, अब व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि, ‘दलीप सिंह ने भारत को कोई चेतावनी नहीं दी थी’। दरअसल, यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका चाहता है, कि भारत रूस की आलोचना करे, लेकिन भारत न्यूट्रल रूख पर कायम है, लिहाजा भारत की तटस्थता से अमेरिका परेशान है, लेकिन अब 2+2 बैठक से पहले अमेरिका के सुर बदल गये हैं।