चांद की सतह के काफी करीब भारत का चंद्रयान-3 पहुंच चुका है। इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 को सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता अवश्य मिलेगी। हालांकि, 19 अगस्त को रूस के लूना-25 मिशन चांद की सतह से टकरा गया था, जो दुखद समाचार था। लूना-25 की असफलता ने साल 2019 में चंद्रयान-2 की याद ताजा कर दी थी, लेकिन हम यहाँ एक ऐसे मिशन की बात करने जा रहे हैं, जो की साल 2008 में भारत ने शुरू किया था। उस समय तक, चांद के रहस्य को अमेरिका, रूस, जापान और यूरोपीय देशों ने सफलतापूर्वक खोजा था। भारत का चंद्रयान मिशन, साल 2008 में चांद पर नहीं पहुंचा, लेकिन चांद तक तिरंगा पहुंचाने में सफल रहा था।
खास दिन था साल 2008 भारत के लिए
आपको बता दे, साल 2008, 14 नवंबर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था। हालांकि वातावरण में ठंड पड़ रही थी, लेकिन इसरो के दफ्तर में उत्साह भरा हुआ था। इसका कारण था – इसरो ने अपने अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की सतह पर क्रैश करने का निर्णय लिया था। आठ दिनों बाद, अर्थात 22 नवंबर 2008 को, इसरो ने अपने अंतरिक्ष यान को चांद की सतह पर उतार दिया। इस भारतीय मून मिशन का नाम ‘चंद्रयान 1’ था। इस स्पेसक्रॉफ्ट में 32 किलोग्राम का एक प्रोब भी था, जिसे इसरो ने ‘मून इंपैक्ट प्रोब’ नाम दिया था।
इसरो ने मून इंपैक्ट प्रोब को नष्ट करने का दिया था आदेश
17 नवंबर की रात को, इसरो ने मून इंपैक्ट प्रोब को नष्ट करने का आदेश दिया। उस समय प्रोब चांद की सतह से 100 किलोमीटर की ऊँचाई पर घूम रहा था। जब आदेश दिया गया, प्रोब ने चांद की कक्षा से निकलकर सतह पर पहुँचने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। उस दौरान प्रोब की रफ्तार को धीरे-धीरे कम किया जा रहा था और इस प्रक्रिया को इसरो के इंजीनियर ध्यानपूर्वक संचालित कर रहे थे। प्रोब में वीडियो इमेजिंग सिस्टम, रडार अल्टीमेटर और मास स्पेक्ट्रोमीटर थे, जिनके माध्यम से चांद की सतह के बारे में जानकारी प्राप्त की जा रही थी। प्रोब चांद के करीब पहुँचते हुए विभिन्न जटिलताओं का सामना करना पड़ा जिसके कारण चांद की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग नहीं हो सकी।
चांद की सतह पर तिरंगा
आपको बता दे, प्रोब चांद की सतह पर पहुँच गया, लेकिन दुर्भाग्यवश एक हादसे के कारण भारत की पहली मून मिशन असफल हो गई। हालांकि, असल में ऐसा नहीं हुआ था। चंद्रयान-1 मिशन ने प्रोब के माध्यम से चांद की सतह पर छोटी जानकारियों को प्राप्त किया और इसका फायदा मिशन चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 मिशन में मिला। इस मिशन के माध्यम से हमें यह भी पता चला कि चांद की वास्तविकता उसकी पूरी रूपरेखा और गुरुत्वाकर्षण के साथ कुछ और बात है। सबसे महत्वपूर्ण बात थी कि प्रोब ने चांद पर तिरंगे को स्थापित कर दिया था, जिससे भारत ने एक इतिहास रच दिया था।
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